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नेता प्रतिपक्ष मामलाः अधिवक्ता कपिल सिब्बल बोले, स्पीकर को निर्देशित नहीं कर सकता हाईकोर्ट, अगली तारीख तय

झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के मामले को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट के सामने सभी ने अपना पक्ष रखा. मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी.

Hearing held in jharkhand High Court
Hearing held in jharkhand High Court

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Published : Jul 25, 2023, 1:30 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 1:38 PM IST

रांचीः झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. अभी तक सदन बिना नेता प्रतिपक्ष के चल रहा है, क्योंकि बाबूलाल मरांडी पर दलबदल मामले में स्पीकर ट्रिब्यूनल का फैसला आना बाकी है. इस बीच यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है. विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार द्वारा दायर शपथ पत्र में कहा गया है कि जबतक दलबदल मामले में स्पीकर के ट्रिब्यूनल से फैसला नहीं आ जाता, तबतक हाईकोर्ट संबंधित आदेश पर किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. साथ ही कोई निर्देश भी नहीं दे सकता है.

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सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 212(1)(2) के तहत कोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई में किसी तरह के हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है. कपिल सिब्बल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का अपना क्षेत्राधिकार है. नेता प्रतिपक्ष के लिए भाजपा से नाम मांगा गया था लेकिन नहीं दिया गया. बाबूलाल मरांडी जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे और इनका मामला पेंडिंग है.

इसपर हाईकोर्ट ने पूछा कि संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पदों को भरने के लिए क्या किया जा रहा है. जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष से इतर जिन संवैधानिक संस्थाओं में पद रिक्त हैं, उसको भरने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसपर भाजपा की ओर से अधिवक्ता कुमार हर्ष ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि जानबूझकर मामले को लटकाया जा रहा है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने 30 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी है. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन भी मौजूद थे.

क्या हुआ था पिछली सुनवाई मेंःदरअसल, पीआईएल पर 14 जुलाई 2023 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने सरकार और विधानसभा के सचिव से पूछा था कि अगर कोई पार्टी किसी को विधायक दल का नेता चुनकर स्पीकर के पास प्रस्ताव भेजती है तो क्या स्पीकर सिर्फ इस आधार पर मामले को लंबित रख सकते हैं कि संबंधित नेता के खिलाफ दलबदल का मामला चल रहा है.

कोर्ट का दूसरा सवाल था कि क्या हाईकोर्ट को अधिकार है कि वह स्पीकर को विपक्ष का नेता चुनने के लिए निर्देशित कर सकता है. खास बात है कि नेता प्रतिपक्ष से जुड़े दलबदल मामले में स्पीकर के ट्रिब्यूनल में सुनवाई पिछले साल ही पूरी हो चुकी है. इसपर फैसला आना बाकी है. लेकिन नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं होने के कारण कई संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है. सूचना आयोग और महिला आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के डिफंक्ड होने की वजह से हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

आपको बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने अपने पार्टी जेवीएम का भाजपा में विलय कर दिया था. इसपर जेवीएम के विधायक रहे प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने सवाल उठाया था. तब से यह मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में चल रहा है. वैसे, चुनाव आयोग ने विलय को मान्यता दे दी थी. इसी आधार पर बाबूलाल मरांडी राज्यसभा चुनाव में भाजपा विधायक की हैसियत से वोटिंग भी करते आ रहे हैं. लेकिन सदन में उन्हें अबतक नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिली है. इस बीच विस की तरफ से भाजपा को सुझाव दिए गये हैं कि पार्टी किसी और नेता का नाम चयनित कर भेजे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 1:38 PM IST

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