रांचीःराज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने शनिवार को देश की शिक्षा पद्धति और उससे तैयार किए जा रहे नागरिकों को लेकर कई सवाल उठाए. उन्होंने देश में भाषा के सवाल पर राजनीति और उसके परिणाम पर भी चर्चा की. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि हम आज तक न हिंदी अपना सके और न अंग्रेजी, बल्कि एक और ही भाषा गढ़ दिया हिंग्लिश. राज्यपाल रमेश बैस आर्यभट्ट सभागार में इक्फाई विश्वविद्यालय (ICFAI UNIVERSITY) के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
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इक्फाई विश्वविद्यालय (ICFAI UNIVERSITY) के तीसरे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि भारत ही दुनिया का ऐसा देश है, जहां अपनी राष्ट्रभाषा को बचाने के लिए विशेष समिति बनाई गई है. देश में मैकाले की शिक्षा नीति आज भी जारी है. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि स्वाधीनता के समय संविधान में यह कहा गया कि हिन्दी राजभाषा होगी और अंग्रेजी माध्यम होगा. अगले दस वर्षों तक अंग्रेजी को धीरे-धीरे हटाया जाएगा. लेकिन 75 वर्ष बीतने के बाद भी आज भी हम उसी मैकाले की शिक्षा नीति पर चल रहे हैं. इसलिए अधिकतर लोग न हिंदी ठीक से जान सके और न ही विशुद्ध रूप से अंग्रेजी जान सके. बल्कि एक नया स्वरूप ही इजाद कर लिया, जिसे आजकल हिंग्लिश कहा जाता है.
राज्यपाल रमेश बैस ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि सिर्फ उपाधि पाना विद्यार्थियों का मकसद नहीं होना चाहिए. बल्कि अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर देश का नाम रोशन करना होना चाहिए. इस मौके पर झारखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस रोंगन मुखोपाध्याय ने विद्यार्थियों को प्रोफेशन में धैर्य रखने की सलाह दी.
139 विद्यार्थियों को मिली उपाधिःदीक्षांत समारोह में वर्ष 2022 में स्नातक करने वाले 139 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई. राज्यपाल रमेश बैस और जस्टिस रोंगन मुखोपाध्याय ने विद्यार्थियों को गोल्ड और सिल्वर मेडल दिए. दीक्षांत समारोह में सात लोगों को पीएचडी डिग्री दी गई. वहीं, 9 स्टूडेंट्स को उत्कृष्ट परिणाम के लिए गोल्ड मेडल और 9 को सिल्वर मेडल देकर सम्मानित किया गया. इस मौके पर कुलपति प्रो. ओआरएस राव ने संबोधित करते हुए कहा कि गुणवत्तायुक्त और संस्कारयुक्त शिक्षा देने के प्रति विश्वविद्यालय कृतसंकल्पित है.
कुलपति प्रो. ओआरएस राव ने कहा कि इक्फाई विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र देश के विभिन्न नामी-गिरामी कंपनियों में कार्यरत हैं. यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं का शत-प्रतिशत प्लेसमेंट हो, इस दिशा में भी विश्वविद्यालय प्रबंधन सतत प्रयासरत रहता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की जरूरतों और रोजगारपरक शिक्षा के बढ़ते दायरे को देखते हुए अगले सत्र से कई नए पाठ्यक्रमों की भी शुरुआत की जाएगी.