झारखंड/रांची: राज्य के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को एसीबी ने स्कवैश कोर्ट निर्माण घोटाले में दोषी पाया है. जांच में दोषी पाए जाने के बाद बंधु तिर्की के खिलाफ चार्जशीट फाइल करने के लिए एसीबी ने सरकार से अभियोजन स्वीकृति की मांग की है.
पूर्व खेल मंत्री को एसीबी ने पाया दोषी , राष्ट्रीय खेल में स्कवैश कोर्ट निर्माण में हुआ था घोटाला
पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को एसीबी ने स्कवैश कोर्ट निर्माण घोटाले में दोषी पाया है. राष्ट्रीय खेल घोटाला 2008 की जांच कर रही एसीबी की टीम ने उन्हें जांच में दोषी पाया है. दोषी पाए जाने के बाद बंधु तिर्की के खिलाफ एसीबी की टीम ने राज्य सरकार से चार्जशीट फाइल करने के लिए अभियोजन स्वीकृति की मांग की है.
पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की के लिए ऐंटी करप्सन ब्यूरो की तरफ से बुरी खबर आई है. राष्ट्रीय खेल घोटाला 2008 की जांच कर रही एसीबी की टीम ने उन्हें जांच में दोषी पाया है. दोषी पाए जाने के बाद बंधु तिर्की के खिलाफ एसीबी की टीम ने राज्य सरकार से चार्जशीट फाइल करने के लिए अभियोजन स्वीकृति की मांग की है.
आरके आनंद सहित पांच अन्य दोषी करार
बंधु तिर्की के साथ-साथ एसीबी ने पहले ही राष्ट्रीय खेल घोटाले में आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद को दोषी पाया था. इसके अलावा सुविमल मुखोपाध्याय, एचएल दास, प्रेम कुमार चौधरी,शुकदेव सुबोध गांधी और अजीत जोइस लकड़ा के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल करने के लिए एसीबी ने सरकार से अभियोजन स्वीकृति की मांग की है.
तीन आरोपियों के खिलाफ पहले ही एसीबी कर चुकी है चार्जसीट दायर
इस घोटाले में एसीबी ने पहले ही आयोजन समिति के सचिव एसएम हाशिमी, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक, तत्कालिन खेल निदेशक पीसी मिश्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. फिलहाल तीनों जमानत पर हैं.
पूर्व खेल मंत्री से तीन बार हो चुका है पूछताछ
एसीबी की टीम ने पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की से इस मामले में अबतक तीन बार पूछताछ कर चुकी है.
क्या है पूरा मामला
2008 में राष्ट्रीय खेल के दौरान स्कवैश कोर्ट बनाने का काम मुंबई की जाइरेक्स इंटरप्राइजेज नामक कंपनी को दिया गया था, जिसमें कंपनी ने कोर्ट के निर्माण के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का लागत बताया था. आयोजन समिति के पूर्व सचिव एसएम हाशिमी ने चार अक्तूबर 2008 को कला संस्कृति विभाग के सचिव को पूरी राशि का आवंटन स्कवैश रैकेट फेडरेशन ऑफ इंडिया को देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद 20 अक्तूबर 2008 को तत्कालीन खेलमंत्री बंधु तिर्की ने उस राशी को अनुमोदित कर दिया. 11 दिसंबर 2008 को स्कवैश फेडरेशन ने हाशमी को पत्र लिख कर अनुरोध किया कि राशि सीधे जाइरेक्स कंपनी को उपलब्ध कराई जाए. उसके बाद तत्कालीन सचिव ने निदेशक को निर्देश दिया था कि एनजीओसी की कार्यकारिणी कमेटी से अविलंब इसकी जांच कर कार्रवाई की जाए. जिसके बाद जांच में यह पता चला की इस मामले में वित्तीय अनियमितता हुई है.