रांची: झारखंड में गठबंधन सरकार बने हुए लगभग 2 वर्ष होने वाले हैं. लेकिन अब तक गठबंधन के घटक दलों के नेताओं कार्यकर्ताओं को सरकार में अहम जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है. उन्हें जिम्मेवारी मिल सके इसके लिए 20 सूत्री और निगरानी समिति के गठन को लेकर तेजी आयी थी. लेकिन लग रहा है कि 20 सूत्री और निगरानी समिति का गठन भी ठंडे बस्ते में चला गया है. ऐसे में सत्ताधारी दल कांग्रेस का 20 सूत्री और निगरानी समिति के गठन का दावा फेल होता दिख रहा है.
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20 सूत्री और निगरानी समिति के गठन को लेकर शुरुआती दौर में क्या फॉर्मूला होगा? इस पर असमंजस की स्थिति थी. लेकिन कांग्रेस और जेएमएम की ओर से बनाए गए समिति की ओर से फॉर्मूला जरूर तय कर दिया गया. हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं हुई. लेकिन फॉर्मूले के तहत 13 जिले जेएमएम, 10 जिले कांग्रेस और एक राजद के हिस्से में आए हैं. जहां इन पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी सौंपी जाएगी. वहीं इसके गठन को लेकर लगातार समिति के द्वारा बैठक भी की गई. साथ ही अपने आला नेताओं को फॉर्मूले समेत सारी बातों की जानकारी भी दी गयी. लेकिन फिर भी मामला अब तक अटका हुआ है.
ऐसे में सूत्रों के हवाले से खबर है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर 20 सूत्री और निगरानी समिति को लेकर आए नामों की स्क्रूटनी अब तक नहीं हो पाई है. जब तक जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सहमति नहीं देते हैं. तब तक 20 सूत्री की घोषणा संभव नहीं मानी जा रही है. हालांकि सत्ताधारी दल कांग्रेस ने दावा किया है कि दुर्गा पूजा के बाद 20 सूत्री और निगरानी समिति के गठन की घोषणा हो सकती है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बताया कि कांग्रेस की ओर से लगभग सभी जिलों से नाम मंगाया जा चुका है और जिन्हें 20 सूत्री के तहत जिम्मेवारी सौंपी जानी है, वह भी लगभग तय कर लिया गया है. सभी नामों को आलाकमान को अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा और तब आधिकारिक तौर पर उनके नामों की घोषणा की जाएगी. वहीं 20 सूत्री के गठन में हो रही देरी से नेताओं कार्यकर्ताओं में निराशा को लेकर उन्होंने कहा कि जल्द ही सबकी निराशा दूर होगी और दुर्गा पूजा के बाद 20 सूत्री और निगरानी समिति के गठन की घोषणा हो सकती है.