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चारा घोटाला: जब स्कूटर पर दिल्ली से रांची तक सांड ने की सवारी, पढ़िए कैसे हुआ महाघोटाला

बहुचर्चित चारा घोटाला के सबसे बड़े मामले में कोर्ट का फैसला आने में अब कुछ ही दिन शेष हैं. 15 फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाया जाना है. डोरंडा ट्रेजरी से पशुचारा और पशुओं की ढुलाई पर जिस तरह से फर्जीवाड़ा हुई इसकी पूरी दास्तान है. यह महाघोटाला जिसमें स्कूटर पर दिल्ली से सांड़ की सवारी रांची तक हुई, वह भी फर्जी निकला.

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Published : Feb 10, 2022, 8:12 PM IST

रांची: क्या आपने स्कूटर पर सांड की सवारी करते हुए देखा है, या सुना है. लेकिन यह सही है. यह मैं किसी फिल्म की बात नहीं कर रहा हूं बल्कि सरकारी दस्तावेज की बात कर रहा हूं. जो देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने इसका रहस्योदघाटन किया है. दरअसल, यह मामला 1990-92 के बीच का है जब देश का सबसे बड़ा घोटाला संयुक्त बिहार के समय झारखंड के रांची डोरंडा ट्रेजरी से जुड़े हुए मामले में प्रकाश में आया था. कहने को तो यह चारा घोटाला के नाम से यह जाना जाता है, मगर इस महाघोटाले में पशुओं को भी फर्जी रुप से स्कूटर पर ढोने की पूरी दास्तान है.

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हरियाणा से रांची फर्जी रुप से पहुंचा था स्कूटर पर सांड: सीबीआई जांच के क्रम में यह भी पाया गया कि डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में 400 सांड हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया. हिन्दुस्तान लाइव स्टॉक एजेंसी दिल्ली के आपूर्तिकर्ता संदीप मल्लिक इस मामले में आरोपी बनाये गये हैं. पशुपालन विभाग ने इस पर 1990-92 के दौरान करीब 20 लाख रुपये खर्च किये थे. इतना ही नहीं पशुपालन विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस की खरीद पर 84 लाख 93 हजार 900 रुपये का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मल्लिक को की थी. इसके अलावे विभाग ने भेड़ और बकरा की खरीद पर 27 लाख 48 हजार रुपया खर्च किया था.

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फर्जीवाड़े के इस खेल में सबसे खास बात यह है कि जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने दर्शाया था वह सभी स्कूटर और मोपेड के थे. सीबीआई ने जांच के दौरान यह भी पाया है कि लाखों टन पशुचारा, भूषा, पुआल, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड पर ढोये गये. आपूर्तिकर्ता ने जिस ट्रांसपोर्टर से माल ढुलाई किया उसके चालान बिल पर जो दर्शाया गया है उसकी जांच देश के सभी राज्यों के लगभग डेढ सौ डीटीओ, आरटीओ से कराई गई है. गवाह के रुप में सीबीआई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश हुए परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इसे सत्यापित भी किया है. उन सबों ने सीबीआई अनुसंधानकर्त्ता द्वारा मांग किये जाने पर रजिस्ट्रेशन रजिस्टर की सत्यापित प्रतिलिपि भी पेश किया है जिससे पता चला है कि जो ट्रक का नंबर दर्शाया गया है वह ट्रक नहीं मोटरसाइकिल का नंबर है.

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महाघोटाले की इस दास्तान में राजनेता से लेकर ब्यूरोक्रेट्स तक पर किरदार निभाने का आरोप है, जिसे खंगालने में सीबीआई को 26 वर्ष लग गये. बहरहाल करीब 139.35 करोड़ के सरकारी राशि गबन मामले में सबकी नजर सीबीआई कोर्ट पर टिकी है जो 15 फरवरी को फैसला सुनायेगी.

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