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रांची: कोविड-19 गाइडलाइन का होगा पालन, पहाड़ी मंदिर में झंडोत्तोलन की निभाई जाएगी परंपरा

रांची में कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में 15 अगस्त को झंडोत्तोलन की परंपरा निभाई जाएगी. इसके तहत सिर्फ तीन से चार सदस्यों को झंडोत्तोलन की अनुमति दी जाएगी.

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पहाड़ी मंदिर में झंडोत्तोलन की निभाई जाएगी परंपरा.

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Published : Aug 13, 2020, 9:14 PM IST

Updated : Aug 13, 2020, 9:25 PM IST

रांची:ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर देश का ऐसा इकलौता मंदिर है जहां 26 जनवरी और 15 अगस्त को मुख्य मंदिर के गुंबद पर तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए कुछ लोगों की मौजूदगी में ही झंडोत्तोलन का कार्यक्रम किया जाएगा. इस दौरान पहाड़ी मंदिर में पहले से चली आ रही कोविड-19 गाइडलाइन को फॉलो किया जाएगा. इसके तहत कोई भी मंदिर में नहीं जा पाएंगा. सिर्फ तीन से चार सदस्यों को झंडोत्तोलन की अनुमति दी जाएगी.

मुख्य मंदिर के गुंबद पर किया जाता है झंडोत्तोलन
पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से जिस तरह सावन महीने में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन किया गया और भक्तों की पहाड़ी मंदिर में नो एंट्री रही. उसी तरह 15 अगस्त को भी पहाड़ी मंदिर में नो एंट्री रहेगी, हालांकि जिला प्रशासन तय करेगा कि झंडोत्तोलन में कितने लोग शामिल होंगे. वहीं, कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुछ सदस्यों को ही झंडोत्तोलन की अनुमति दिए जाने की उम्मीद है. जो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए झंडोत्तोलन करेंगे. साथ ही पहले से कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन किया जाता रहेगा.

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ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर
बता दें कि देश का ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर है. जहां 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडोत्तोलन मुख्य मंदिर के गुंबद पर किया जाता है. 15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तब स्वतंत्रता सेनानियों ने पहाड़ी मंदिर के गुंबद पर तिरंगा लहरा कर देश की आजादी का जश्न मनाया था. क्योंकि पहले पहाड़ी पर स्वतंत्र सेनानियों को अंग्रेजों की तरफ से फांसी दी जाती थी. इस वजह से पहाड़ी मंदिर का ऐतिहासिक नाम 'फांसी टुंगरी' पड़ा. इन्ही वीर सपूतों की याद में श्रद्धांजलि देने को लेकर देश की शान तिरंगे को शान से फहराया गया था. यह परंपरा आज भी जारी है.

Last Updated : Aug 13, 2020, 9:25 PM IST

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