रांची: ट्रेंड तो यही बता रहा है कि झारखंड में ओमीक्रोन की एंट्री हो चुकी है. पिछले कुछ दिनों में संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है. लेकिन इस अनुमान पर जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट ही मुहर लगा सकता है, जो झारखंड के लिए फिलहाल संभव नहीं है. क्योंकि यहां अबतक लैब स्थापित नहीं हो पाया है. आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 29 नवंबर को झारखंड में एक्टिव मरीजों की संख्या 95 थी, जो 28 दिसंबर को बढ़कर 477 हो गई है. खास बात है कि ऐसे नाजुक समय में भी टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ी हुई है. कोरोना को लेकर आने वाली चुनौतियों और तैयारियों के बाबत ईटीवी भारत की टीम ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बातचीत की.
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स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है. लिहाजा, पुराने अनुभव को ध्यान में रखकर पहल किए जाने की जरूरत है. चुनौतियों को लेकर सरकार पूरी तरह तैयार हैं. यह पूछे जाने पर कि अभी भी 18 साल से ज्यादा आयु वर्ग के 58 लाख से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें पहला डोज भी नहीं मिला है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड का भौगोलिक बनावट एक कारण है. दूसरा कारण पलायन और तीसरा है लोगों में जागरूकता की कमी. इसी वजह से रफ्तार प्रभावित हुई है. सरकार डोर टू डोर जाकर भी वैक्सीन देने की कोशिश कर रही है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि वैक्सीनेशन की जब शुरूआत हुई, तभी केंद्र ने कई ऐसे नियम बना रखे थे जिसकी वजह से लोगों को परेशानी हुई.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस महामारी को राजनैतिक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि जब केरल में सौ फीसदी दोनों डोज लगने के बाद भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में वहां बुस्टर डोज क्यों नहीं दिया जा रहा है.