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रिम्स में नियुक्ति नहीं हो पाने पर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- क्या सरकार नहीं चाहती कि रिम्स में सुधार हो

रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. आदेश के 2 साल बाद भी नियुक्ति नहीं होने पर अदालत ने नाराजगी जताई और पूछी कि क्या सरकार नहीं चाहती कि रिम्स में सुधार हो. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Even after order of Jharkhand High Court appointment not complete at vacant posts of RIMS court is angry at government
रिम्स की लचर व्यवस्था पर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

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Published : Mar 15, 2022, 9:42 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव, कार्मिक सचिव, जेएसएससी चेयरमैन और रिम्स निदेशक कोर्ट में हाजिर हुए. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जब रिम्स ऑटोनॉमस बॉडी है तो नियुक्ति के लिए राज्य सरकार से क्लीयरेंस क्यों मांगना पड़ता है. क्या राज्य सरकार नहीं चाहती कि रिम्स में सुधार हो. अदालत ने 2 साल से आदेश के बावजूद भी सरकार के बाबुओं द्वारा कोई न कोई अड़चन लगाने पर नाराजगी जताई.

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बता दें कि काफी समय से रिम्स के खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है. जिससे गरीब जनता के इलाज में काफी कठिनाई होती है. इसी को लेकर हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हो रही है. इधर अदालत के आदेश के बाद भी सुनवाई न होने से अदालत ने तल्ख टिप्पणी की है और सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि अधिकारी रिम्स रूपी मुर्गी की गर्दन पकड़े हुए हैं और कहते हैं कि अंडा दो. यह कैसी व्यवस्था है. एक तरफ सरकार कहती है कि रिम्स ऑटोनोमस बॉडी है. दूसरी तरफ उसे कुछ करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. अदालत भी 2 वर्षों से देख रही है कि क्या चल रहा है. इसके बाद अदालत में तत्काल मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को तय कर दी.

अधिवक्ता राजीव कुमार ने दी जानकारी

अदालत इस बात को लेकर नाराज थी कि रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए दो साल से निर्देश दे रही है. लेकिन अभी तक रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है. रिम्स की ओर से अदालत को बताया गया कि रिम्स में नर्सेज की नियुक्ति के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को पत्र भेजा गया था. लेकिन उनकी ओर से यह कहते हुए अधियाचना वापस कर दी गई, कि रिम्स पहले इसे सरकार को भेजे और फिर सरकार नियुक्ति के लिए आयोग को अधियाचना भेजेगी. अदालत जानना चाह रही थी कि आखिर रिम्स नियुक्ति के लिए सीधे अधियाचना जेएसएससी को क्यों नहीं भेज सकती है. इस पर बताया गया कि नियम ऐसा बनाया गया है कि रिम्स को सरकार के पास रोस्टर क्लीयरेंस के लिए भेजना है. सरकार उसके बाद नियुक्ति के लिए कर्मचारी चयन आयोग को अधिसूचना भेजेगी.

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