रांचीः विश्व में मानव जनित कारणों से पैदा ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का कुप्रभाव दिख रहा है. इसका अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर गंभीर असर पड़ रहा है. ये बातें सीड की ओर से आयोजित जस्ट ट्रांजिशन संवाद में विशेषज्ञों ने कहीं.
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देश के 120 जिलों की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधन पर आधारित
एक आंकड़े के अनुसार देश में 120 जिलों की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधन पर आधारित है. जहां 25 फीसदी आबादी रहती है. समय रहते जीवाश्म ईंधन पर आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था के वैकल्पिक उपायों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दिनों में एक विकराल सामाजिक और आर्थिक संकट पैदा होगी. इस स्थिति से निबटने के लिए जस्ट ट्रांजिशन यानि न्यायोचित परिवर्तन मजबूत विकल्प है.
क्या है जस्ट ट्रांजिशन
यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज की ओर से वर्ष 2015 में पेरिस समझौता हुआ. जिसमें जस्ट ट्रांजिशन को महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में शामिल किया गया था. जस्ट ट्रांजिशन का उद्देश्य है कि लोगों को अपने जीवनयापन और जरूरतों की पूर्ति के लिए जीवाश्म इंधन से संचालित अर्थव्यवस्था पर निर्भर करना है, ताकि आजीविका, रोजगार, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की सके.
झारखंड के लिए क्यों जरूरी है जस्ट ट्रांजिशन
झारखंड खनिज संसाधनों के लिहाज से संपन्न राज्य है. यहां देश का 40 प्रतिशत खनिज और 26 प्रतिशत कोयला भंडार है. एक रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का लाभ स्थानीय आबादी को नहीं मिला है. इसके साथ ही उत्खनन से प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण हुआ है. इससे पर्यावरण को क्षति और कृषि संकट पैदा हुआ है. इसके साथ ही जल, थल और वायु प्रदूषित भी हुई है. इस स्थिति में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, अन्यथा लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी. विशेषज्ञों ने कहा कि झारखंड पोस्ट विकल्पों की खोज अभी से शुरू कर दें, ताकि ट्रांजिशन के समय यहां के लोगों को परेशानी झेलना नहीं पड़े.