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झारखंड को कुपोषण मुक्त करने की कवायद, सुपोषित झारखंड अभियान का क्या है हाल - झारखंड न्यूज

झारखंड को कुपोषण मुक्त करने की कवायद तेज हो गई है. इसके लिए 30 सितंबर तक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत 34 लाख लाभार्थियों को टीएचआर दिया जा रहा है.

goal of malnutrition free Jharkhand
goal of malnutrition free Jharkhand

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 20, 2023, 7:59 PM IST

रांची: झारखंड लंबे समय से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. यह ऐसा कारण है जो झारखंड को सशक्त बनने नहीं दे रहा है. इसको दूर करने के लिए हर साल की तरह इस साल भी 1 सितंबर से 30 सितंबर तक कुपोषण के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है. समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग का दावा है कि इस अभियान के तहत हर महीने 38432 आंगनबाड़ी केन्द्रों से 34 लाख से अधिक लाभार्थियों को डेक होम राशन यानी टीएचआर दिया जा रहा है.

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पोषण ट्रैकर में सभी लाभार्थियों की डिजिटल डेटा एंट्री भी सुनिश्चित की गयी है, ताकि वास्तविक समय में निगरानी की जा सके. इससे यह पता चल पाता है कि किन लोगों को टीएचआर दिया गया है. कुछ इसी तरह से सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी हर दिन 3-6 साल के बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन और नाश्ता का वितरण भी कराया जा रहा है. विभाग की ओर से बच्चों की नियमित निगरानी के साथ गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष के बच्चों को सभी जरूरी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं.

विशेष अभियान को लेकर विभाग के निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा है कि हर साल की तरह इस साल भी पोषण माह का आयोजन पूरे प्रदेश में प्रखंड स्तर तक किया जा रहा है. इस वर्ष का थीम सुपोषित झारखंड, साक्षर झारखंड और सशक्त झारखड है. मिशन की शुरूआत भगवान बिरसा मुंडा के गांव से की गई थी. उन्होंने यह जानकारी प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित नये सभागार में दी.

निदेशक शशि प्रकाश झा ने बताया कि लक्षित लाभार्थियों का पोषण सुधारने के लिये राज्य भर में पोषण माह के दौरान कई अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. अब तक राज्यभर में 6.76 लाख से अधिक गतिविधियां की जा चुकी हैं. सेविका, हेल्पर, सभी सीडीपीओ, आब्जर्वर, डीएसडब्ल्यूओ, यूनिसेफ और अन्य विभागों का सहयोग लिया जा रहा है. सभी 224 योजनाओं से प्रत्येक सेविका और सहायिका को बेहतर प्रदर्शन के लिये नकद पुरस्कार भी देने की तैयारी है. निदेशक ने मिलेट्स के खाद्य पदार्थों को भी शामिल करने की बात कही ताकि पोषाहार को ज्यादा बल मिल सके.

उन्होंने बताया कि प्राथमिकता सूची तैयार की गयी है, जिसमें अति विशिष्ट पिछड़ी जाति, विधवा, परित्यक्ता, ट्रांसजेंडर, 40 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांगता वाले व्यक्ति, कैंसर, एड्स, कुष्ठ या अन्य असाध्य रोग से ग्रसित व्यक्ति के लिये स्कूल में मध्याह्न भोजन, खाद्य सुरक्षा अधिनियम राशन कार्ड की सेवाएं प्रदान की गयी हैं. वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं सहित 06 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है. योजनाओं में पंचायत की भूमिका को पूरी तरह से सक्रिय किया गया है. जिले की वेबसाइट पर भी इसका प्रकाशन सुनिश्चित किया गया है.

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