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14 अगस्त तक झारखंड में सिर्फ 37 फीसदी ही हुई धान की रोपनी, 15 अगस्त के बाद होगा सूखे का आकलन

झारखंड के कई जिले में इस बार बारिश ठीक से नहीं हुई है. जिसके कारण वे सूखे के कगार पर हैं. 14 अगस्त तक राज्य में सिर्फ 37% धान की रोपनी हुई है. 15 अगस्त के बाद विभाग सुखाड़ से प्रभावित खेतीबाड़ी का आकलन करेगा.

Drought assessment will be done in Jharkhand
Drought assessment will be done in Jharkhand

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Published : Aug 15, 2023, 10:48 AM IST

रांची: जुलाई के अंतिम सप्ताह और अगस्त में कुछ जिलों में हुई अच्छी मानसूनी वर्षा के बावजूद राज्य में इस वर्ष भी सामान्य से काफी कम वर्षापात का असर खरीफ फसल की खेती पर पड़ा है. मौसम केंद्र, रांची के ताजा रिपोर्ट के अनुसार 01 जून 2023 से 14 अगस्त 2023 तक राज्य के 24 में से 21जिलों में अभी भी वर्षापात सामान्य से कम है.

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चतरा में जहां स्थिति बेहद विकट है जहां सामान्य से 62% कम वर्षा हुई है. वहीं अन्य 20 जिलों में भी वर्षापात की स्थिति ठीक नहीं है. सिमडेगा, गोड्डा और साहिबगंज को छोड़ राज्य के बाकी सभी 21 जिलों में कम वर्षापात का नकारात्मक असर खेती पर पड़ा है.
राज्य में 14 अगस्त तक जहां 6.604 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (36.69%) में धान का आच्छादन हो सका है. वहीं, सभी खरीफ फसल को मिलाकर करीब 12 लाख हेक्टेयर में अन्य खरीफ फसलों जैसे आच्छादन हुआ है जो लक्ष्य का 42.45% है.

क्या है अन्य खरीफ फसलों के आच्छादन की स्थिति:झारखंड में 28 लाख 27460 हेक्टर में खरीफ फसल की खेती का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की ही फसल लगाने का लक्ष्य था. इस वर्ष पहले देर से आई मानसून और फिर शुरुआती दिनों में राज्य भर में सामान्य से काफी कम हुई वर्षापात का नकारात्मक असर खेती-बाड़ी पर पड़ा है. राज्य में कम वर्षा की वजह से खरीफ फसलों का आच्छादन लक्षित भूमि का सिर्फ 42.5% ही हो सका है. वहीं धान के फसल के आच्छादन की स्थिति तो और खराब है. राज्य में 14 अगस्त 2023 तक लक्षित 18 लाख हेक्टेयर में सिर्फ 6 लाख 60 हजार 462 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है.

इसी तरह राज्य में तीन लाख 12हजार 560 हेक्टेयर में मक्का की खेती का लक्ष्य रखा गया था, परंतु 14 अगस्त तक 2 लाख 24 हजार 649 हेक्टेयर में ही मक्का की फसल लगाई जा सकती है.

वहीं, अगर बात दाल की करें तो राज्य में इस वर्ष 06 लाख 12 हजार 900 हेक्टेयर में दाल लगाने के लक्ष्य की तुलना में 02 लाख 68 हजार 363 हेक्टेयर में ही दलहन की फसल लगाई जा सकी है. इसी तरह तिलहन में भी लक्ष्य 60 हजार हेक्टेयर की तुलना में महज 24 हजार 128 हेक्टेयर में तिलहन फसलों को लगाया जा सका है. मोटे एवं अन्य अनाजों के लिए इस वर्ष 42 हजार हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित था जिसकी तुलना में 22595(53.8%) में आच्छादन हुआ है.

कृषि निदेशालय में उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि 15 अगस्त तक हुए आच्छादन और अन्य पहलुओं को देखते के बाद विभाग आगे का फैसला लेगी. कृषि निदेशालय के उपनिदेशक ने कहा कि 15 अगस्त तक राज्य के किसान धान रोपनी करते हैं.ऐसे में विभाग की नजर भी 15 अगस्त तक राज्य में धान एवं अन्य खरीफ फसलों के आच्छादन की स्थिति पर है. कृषि उपनिदेशक ने ईटीवी भारत से कहा 15 अगस्त के बाद राज्य भर में हुए आच्छादन की वास्तविक स्थित की जानकारी लेकर वैकल्पिक खेती को प्रोत्साहित करने की रणनीति तैयार रखा गया है.

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