रांचीःकोरोना महामारी से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. अब यह महामारी लोगों के दिमाग को भी प्रभावित करने लगा है. लॉकडाउन के दौरान घर में बैठे लोग अवसाद यानि डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ अशोक प्रसाद ने गुरुवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इन दिनों जो मरीज पास पहुंच रहे हैं उसमें से 80-90 प्रतिशत लोग कोरोना के खौफ के शिकार होते हैं.
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घर के बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चे और महिलाएं एंजाइटी और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. मनोचिकित्सक डॉ अशोक प्रसाद कहते हैं कि घबराहट, बेचैनी, नींद की कमी, लगातार उदास रहना और रोने की इच्छा आदि के शिकर लोग क्लिनिक पहुंच रहे हैं.
मानसिक समस्याओं से कैसे बचें
कोरोना भले ही ग्लोबल महामारी है, लेकिन उसकी हार तय है. इस सकारात्मक सोच के साथ अपने परिवार के सदस्यों के साथ व्यस्त रहे. दोस्तों के साथ बातचीत करें. इसके साथ ही दिनचर्या को व्यवस्थित करते हुए प्रत्येक दिन योगा और व्यायाम जरूर करें.
कब जाएं मनोचिकित्सक के पास
डॉ अशोक प्रसाद कहते हैं कि नींद में लगातार कमी, नकारात्मक सोच, झुंझलाहट, बात-बात पर बच्चों पर नाराजगी और जीवन से ऊब जाने की भाव आए, तो शीघ्र मनोचिकित्सक की सलाह लेकर दवा का सेवन करना शुरू कर दें.
बच्चे और महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर
कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ रहा है. डॉ अशोक प्रसाद कहते हैं कि स्कूल बंद होने की वजह से ऑनलाइन क्लास, टीवी-मोबाइल पर ज्यादा बच्चे व्यस्थ रहते हैं, जिसका असर मनःस्थिति पर पड़ रहा है. इसके साथ ही महिलाएं बीमारी की स्वाभाविक डर के कारण डिप्रेशन और एंजाइटी का शिकार हो रही हैं
ज्यादा से ज्यादा टीका करना की जरूरत
लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के भय से लोगों की मनःस्थिति पर असर डाला है. डॉ अशोक प्रसाद ने सरकार से मांग की है कि ज्यादा से ज्यादा टीका कराएं. अगर संभव हो तो 24 घंटे टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जाए, ताकि लोगों में विश्वास जगे कि जल्द कोरोना हारने वाला है. डॉ अशोक कहते हैं कि मानसिक समस्या को लेकर कॉल सेंटर शुरू करने की जरूरत है, ताकि एक कॉल पर समस्याओं का समाधान हो सके.