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आईएमए भवन रांची में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर चर्चा, आईएमए ने की संशोधन की मांग

आईएमए भवन रांची में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर चर्चा हुई. इसमें आईएमए के पदाधिकारियों ने संशोधन की मांग की. उन्होंने कहा कि यहां हरियाणा की तर्ज पर कानून लागू हो. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कानून की खूबियां गिनाईं.

Discussion on Clinical Establishment Act in IMA Bhawan Ranchi
आईएमए भवन रांची में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर चर्चा

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Published : Jan 31, 2022, 11:51 AM IST

रांचीःक्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ) 2010 पर आईएमए भवन में चर्चा हुई. इसमें आईएमए पदाधिकारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि भी शामिल हुए, जहां स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ. एसएन झा ने एक्ट की खूबियां गिनाईं. वहीं आईएमए पदाधिकारियों ने एक्ट में संशोधन की मांग की.

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बैठक में आईएमए के महिला विंग की अध्यक्ष डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश और असोम में अभी तक इस एक्ट को लागू नहीं किया गया है. झारखंड आईएमए चाहता है कि यह एक्ट लागू रहे पर जनहित में एकल या डॉक्टर कपल द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों को छूट मिले. 50 बेडेड निजी अस्पताल को राहत दी जाए. डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि एकल अस्पताल पर इसके कड़े नियम लागू नहीं होने चाहिए.

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आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग पुरानी है. इसके अलावा आईएमए के क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट की विशेष कमिटी के सदस्य डॉ. आरएस दास ने कहा कि एक्ट के अनुसार किसी मरीज को पहले स्टेबलाइज्ड कर ही रेफर करने की बाध्यता इस एक्ट में सबसे आपत्तिजनक है इससे डॉक्टर और मरीज दोनों की परेशानी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स द्वारा चलाए जाने वाले 50 बेड तक के निजी अस्पताल को एक्ट में छूट मिलना चाहिए ताकि डॉक्टर मरीजों को सस्ता इलाज कर सकें. अगले 5 वर्ष तक निजी बड़े अस्पतालों को भी इससे छूट मिलना चाहिए.


आईएमए के आग्रह पर चर्चा में शामिल हुए स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ. एसएन झा ने कहा कि केंद्र की सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, जनता को बेहतर इलाज देने, न्यूट्रिशन, झोला छाप डाक्टरों पर नियंत्रण के साथ साथ अस्पतालों के डिजिटल रेजिस्ट्रेशन के लिए यह कानून बनाया है,हालांकि इस सवाल का जवाब देने से डॉ. झा बचते दिखे कि जब एक्ट की अच्छाइयां अधिक हैं तो फिर इसका विरोध क्यों चिकित्सक समुदाय कर रहा है. कार्यक्रम में झासा के डॉ. बिमलेश सिंह, डॉ. शम्भूनाथ सिंह, डॉ. आरएस दास आदि भी शामिल हुए.

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