रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में सस्पेंड एडीजी अनुराग गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गयी है. राज्य सरकार ने होमगार्ड के डीजी एमवी राव को विभागीय जांच और कार्रवाई के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया है.
दो महीने में विभागीय जांच पूरा कर कार्रवाई का आदेश
पहले राज्य सरकार ने इस मामले में एडीजी अजय कुमार सिंह को विभागीय कार्रवाई के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया था, लेकिन एक ही रैंक के अधिकारी अपने समान रैंक के अफसर के खिलाफ विभागीय जांच या कार्रवाई का संचालन नहीं कर सकते. ऐसे में डीजी एमवी राव को विभागीय कार्रवाई संचालन का जिम्मा दिया गया है. सरकार ने दो महीने में विभागीय जांच पूरा कर कार्रवाई का आदेश दिया है.
टेप में 27 जगहों पर छेड़छाड़
राज्यसभा चुनाव 2016 के दौरान तत्कालीन विधायक निर्मला देवी और उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ बातचीत का एक टेप वायरल हुआ था. चुनाव आयोग के निर्देश के बाद इस मामले में तत्कालीन एडीजी विशेष शाखा अनुराग गुप्ता और तत्कालीन मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. हालांकि जांच में जगरनाथपुर पुलिस ने टेप को जांच के लिए एफएसएल गांधीनगर भेजा था, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई थी कि टेप में 27 जगहों पर छेड़छाड़ है. अब तक की जांच में एडीजी की ओर से मतों को प्रभावित करने के सबूत भी नहीं मिले हैं.
चुनाव प्रभावित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज
राज्यसभा चुनाव 2016 में चुनाव को प्रभावित करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी एडीजी अनुराग गुप्ता को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सस्पेंड किया था. एडीजी के निलंबन के बाद सरकार ने इस संबंध में आदेश भी जारी किया है. मार्च 2018 में विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने के आरोप में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच एडीजी अनुराग गुप्ता और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उसी के आधार पर यह करवाई हुई थी.
कैसे हुई निलंबन की कार्रवाई
बीते हफ्ते राज्यसभा चुनाव में एफआईआर को आधार बनाकर अनुराग गुप्ता को सीआईडी से ट्रांसफर करने की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय भेजी गई थी. इसी फाइल पर मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपालजी तिवारी ने बफशीट के लिए लिखा था कि एडीजी पर दर्ज एफआईआर सिविल सर्विस कोड का उल्लंघन है. ऐसे में उन्हें निलंबित कर विभागीय कार्रवाई की जाए. इसके बाद मुख्यमंत्री ने एडीजी के निलंबन का आदेश जारी कर दिया. आदेश के अनुसार, तीन महीने में विभागीय कार्रवाई पूरी करने का आदेश दिया गया है.