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'श्री सम्मेद शिखरजी' को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध जारी, इंडिया गेट के सामने जैन समाज के लोगों ने किया प्रदर्शन

जैन धर्म के सबसे पवित्र स्थल 'श्री सम्मेद शिखरजी' को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है. सरकार के इस फैसले का जैन समाज के लोग विरोध कर रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने नई दिल्ली में इंडिया गेट के सामने प्रदर्शन किया और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की (People of Jain community demonstrated in delhi).

People of Jain community demonstrated
Shri Sammed Shikharji

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Published : Jan 1, 2023, 10:11 PM IST

नई दिल्ली:इंडिया गेट पर 'श्री सम्मेद शिखरजी' को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया (People of Jain community demonstrated in delhi). पारसनाथ हिल को सम्मेद शिखर के नाम से भी जाना जाता है. ये दुनियाभर में जैनियों के बीच सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. झारखंड सरकार की ओर से श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद पूरे इंडिया में जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं.

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जैन समुदाय के लोग झारखंड में पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने के राज्य सरकार के फैसले का हर जगह विरोध कर रहे हैं. इसी क्रम में जैन समुदाय के लोगों ने दिल्ली के इंडिया गेट के सामने प्रदर्शन किया. जैन मुनियों ने झारखंड सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है, और पूरे भारत में जैन समुदाय के लोग अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.



झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने पर देश भर में जैन समुदाय के विरोध पर झारखंड सरकार ने साफ किया है कि इस स्थल की पवित्रता और महत्ता बरकरार रखा जाएगा. इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जाएंगे. राज्य के पर्यटन, कला, संस्कृति एवं खेलकूद विभाग के सचिव मनोज कुमार ने कहा है कि जैन धर्मावलंबियों की भावना का ध्यान रखते हुए यहां मांस-शराब पहले से पूरी तरह प्रतिबंधित है. सरकार ने गिरिडीह जिले के उपायुक्त को निर्देश दिया है कि यह प्रतिबंध प्रभावी तरीके से लागू हो.



राज्य सरकार के मुताबिक, सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात पारसनाथ को केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अगस्त 2019 में ही इको सेंसेटिव जोन के रूप में अधिसूचित किया है. ऐसे क्षेत्र में वन एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी नई संरचना का निर्माण नहीं हो सकता. जहां तक इसे पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने की बात है, तो इसके पीछे का उद्देश्य जैन धर्मावलंबियों के लिए इस स्थान पर समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराना रहा है.

--आईएएनएस

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