रांची:किसी भी गांव को आदर्श स्वावलंबी बनाने के लिए सबसे पहले वहां के लोगों को आदर्श स्वावलंबी बनना होगा. इसके लिए वहां के ग्रामीणों की सहभागिता जरूरी है. बिना ग्रामीणों के सहयोग से कोई भी गांव आदर्श नहीं बन सकता. इसी परिकल्पना को ध्यान में रखकर झारखंड सरकार ने दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत पहले चरण में खूंटी जिले का चयन किया गया है.
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बुधवार को राजधानी के हेहल स्थित सर्ड कार्यालय सभागार में इस योजना की पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि खूंटी जिले के सभी 760 गांवों में इस योजना को क्रियान्वित किया जाएगा. इसकी सफलता को देख कर राज्य के अन्य गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा. इस योजना के क्रियान्वयन के लिए खूंटी जिले को पायलट जिले के रूप में चयन किया गया है. इसके लिए गांव की सक्रिय महिलाएं लोकप्रेरक की भूमिका निभाएंगी.
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गांव को बनाया जाएगा आदर्श
सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि आजादी के बाद से ही गांव से गरीबी खत्म करने और गांव को आदर्श बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई, लेकिन आज तक सरकारी प्रयास से एक भी गांव आदर्श स्वावलंबी नहीं हो सका है. इसमें आ रही कमी को दूर करने के उद्देश्य से दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना की शुरुआत की गई है.
लोक प्रेरक दीदियों के पहले बैच का प्रशिक्षण 10 सितंबर से होगा
इस योजना के तहत ग्रामीणों को जागरूक करने, ग्रामसभा को प्रभावी बनाने, ग्रामसभा के माध्यम से ग्रामीणों में वैचारिक जागृति और सामाजिक सरोकार भाव विकसित करने का प्रयास किया जाएगा. लोकप्रेरक दीदियां ग्राम संगठन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का चयन करेंगी. इन्हें एक या दो सप्ताह का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. शुरुआती दौर में लोकप्रेरक दीदियों को दो राजस्व गांव की जिम्मेवारी दी जाएगी. लोकप्रेरक दीदियों के पहले बैच का प्रशिक्षण 10 सितंबर 2019 से शुरू होगा. हर बैच में 30-40 लोकप्रेरक दीदियां प्रशिक्षण लेंगी. पहले बैच की दीदियां खूंटी जिला के चयनित गांवों में अपना कार्य शुरू करेंगी, जिसमें गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले की 40 लोकप्रेरक दीदियों का चयन हुआ है.