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झारखंड में ट्राइबल पॉलिटिक्स: बीजेपी की आदिवासी रैली पर सियासी बहस तेज

बीजेपी की आदिवासी रैली को लेकर झारखंड में ट्राइबल पॉलिटिक्स (tribal politics in Jharkhand) पर बहस छिड़ गयी है. बीजेपी झारखंड में आदिवासियों की हितैषी होने की कोशिश कर रही है. जिसके लिए राजधानी रांची में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर के साथ कार्यक्रम स्थल मोरहाबादी मैदान में आदिवासी व्यंजन की व्यवस्था की गयी है. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आगमन जनजातियों के बीच मैसेज देने के लिए ही है.

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Published : Jun 4, 2022, 9:26 PM IST

रांची: झारखंड में ट्राइबल वोट को गोलबंद करने में भारतीय जनता पार्टी जुट गई है. आदिवासी रैली के जरिए पार्टी झारखंड में आदिवासियों की हितैषी होने की कोशिश कर रही है. जिसके लिए राजधानी रांची में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर के साथ कार्यक्रम स्थल मोरहाबादी मैदान में आदिवासी व्यंजन की व्यवस्था की गयी है.

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बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) का आगमन जनजातियों के बीच मैसेज देने के लिए ही है. पार्टी को उम्मीद है कि इसका लाभ 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जरूर मिलेगा. 2019 के विधानसभा चुनाव की नाकामी के पीछे भारतीय जनता पार्टी ट्राइबल वोट को खिसकना ही मान रही है जिस वजह से उसे सत्ता से दूर होना पड़ा. इस बार समय रहते डैमेज कंट्रोल करने में बीजेपी जुट गई है. करीब 50 हजार जनजातियों की भीड़ के बीच मोरहाबादी मैदान में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के संबोधन कराने की तैयारी भाजपा ने की है. इस कार्यक्रम में आदिवासी संस्कृति और सभ्यता की झलक पारंपरिक नृत्य और आदिवासी व्यंजन के स्टॉल से मिलेगा.

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भाजपा एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव ने इस रैली को एतिहासिक बताते हुए कहा है कि वर्तमान हेमंत सरकार जो आदिवासियों को धोखा देकर सत्ता पर काबिज हुई है, उसे मैसेज देने का काम करेगी कि आखिर कौन जनजातियों का असली हितैषी है. इधर कांग्रेस ने भाजपा की आदिवासी रैली पर तंज कसते हुए कहा है कि भोले-भाले आदिवासियों को ठगने की कोशिश भाजपा कर रही है, मगर यह नहीं हो सकेगा. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि आदिवासियों का कौन हितैषी है उसे वो बखुबी जानते हैं. लेकिन जनजातियों का हितैषी कौन है इसको लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है और जनता मूकदर्शक बनकर इन राजनीतिज्ञों की चाल को समझ रही है.

आदिवासी कल्याण के लिए रघुवर सरकार में चली योजनाएंः पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में आदिवासियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गयीं. जिसमें जोहार राज्य योजना चलाकर 68 प्रखंडों में 2 लाख परिवारों को लाभ दिया गया. आदिवासी समुदाय के 221 युवाओं को राज्य आदिवासी सहकारी विकास निगम के माध्यम से 180.23 लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराकर उद्यमी बनाया गया. आदिवासी समुदाय के वंचित वर्ग को छत प्रदान करने के लिए 4540 बिरसा आवास बनवाए गए. आदिवासी समुदाय के कमजोर जनजातीय परिवारों को 600 रुपया प्रति माह पेंशन दी गई. आदिवासी समुदाय की महिलाओं का जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए 62933 अनुसूचित जनजाति सखी मंडलों को 4691 लाख रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई. आदिवासियों के सामुदायिक विकास के लिए समुदाय निवेश निधि में 10784 लाख रुपए प्रदान किए गए. आदिवासी समुदाय का जनजीवन बेहतर बनाने के लिए आदिम जनजाति के सभी गांव में पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गयी. जनजाति बहुल गांव में मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति ग्रामीण विकास योजना आरंभ की गई इसके तहत 80% से ज्यादा की जनजातीय आबादी वाले 5755 गांव को चयनित किया गया. आदिवासियों के धार्मिक स्थल सरना, मसना स्थलों की चारदिवारी से घेरावंदी और विकसित करने की योजना बनाई गयी.

हेमंत सरकार के कार्यकाल में जनजातिय कल्याण कार्यः मौजूदा हेमंत सरकार में विदेश में सरकारी खर्च पर पढ़ाई का अवसर प्रदान करते हुए झारखंड के अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिभाशाली युवाओं को झारखंड सरकार एवं ब्रिटिश हाई कमीशन द्वारा शेवनिंग मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्कॉलरशिप योजना की शुरुआत की. धुमकुड़िया भवन निर्माण योजना शुरू की. सरना, जाहेर स्थान, हड़गड़ी, मसना स्थलों को विकसित करने की योजना. आदिवासी संस्कृति और कला के बचाने के लिए ग्राम प्रधान, मानकी मुंडा को 25 लाख तक का वित्तीय अधिकार भी दिया गया है. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के युवाओं को रोजगार के लिए 40 फीसद अनुदान पर ऋण देने की योजना पहले यह अनुदान 25 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया गया है. इसके अलावा UPSC प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी के लिए एकमुश्त 1 लाख की आर्थिक सहायता देने की योजना शुरू की.

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