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साइबर अपराधियों का आतंक, एनी डेस्क के जरिए खाते से उड़ाए 75 हजार

झारखंड पुलिस साइबर अपराध के खिलाफ लगातार जागरूकता अभियान चला रही है. इसके बावजूद साइबर अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला रांची हिंदपीढ़ी का है, जहां शारिक मुजम्मिल नाम के एक युवक के खाते से साइबर अपराधियों ने 74 हजार रुपए उड़ा लिए.

Cyber ​​fraud in Ranchi through Any Desk App
साइबर अपराधियों ने फिर बनाया एक युवक को ठगी का शिकार

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Published : Jan 10, 2021, 4:20 PM IST

Updated : Jan 10, 2021, 6:04 PM IST

रांची: साइबर अपराधियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी लोग इसका शिकार हो रहे हैं. ताजा मामला रांची के मेन रोड इलाके का है, जहां शारिक मुजम्मिल नाम के युवक के खाते से साइबर अपराधियों ने एनी डेस्क के जरिये 74 हजार रुपए उड़ा लिए.

पीड़ित और साइबर डीएसपी का बयान

क्या है पूरा मामला

रांची में एनी डेस्क एप के जरिए आम लोगों के खाते से रुपए उड़ाने का सिलसिला लगातार जारी है. साइबर अपराधी एनी डेस्क एप डाउनलोड करवाकर हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र में रहने वाले युवक सारिक के खाते से 74 हजार रुपए उड़ा लिए. इसको लेकर सारिक ने साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. जिसमें उसने बताया गया है कि 8 जनवरी की सुबह उसके खाते से एक रिचार्ज कंपनी की ओर से कुछ रुपए ज्यादा ले लिए गए थे.

साइबर थाना में एफआईआर दर्ज

इसके बाद उसने इंटरनेट पर सर्च कर रिचार्ज कंपनी का टोल फ्री नंबर निकलकर कॉल किया. कॉल करने पर एक व्यक्ति ने फोन उठाया और एनी डेस्क एप डाउनलोड करवाया और यूपीआई पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करवाया. इसके बाद अलग-अलग किश्त में कुल 74 हजार रुपए खाते से गायब कर लिया. ठगी का शिकार होने पर सरिक रांची एसएसपी के गोपनीय कार्यालय में स्थित साइबर सेल पहुंचा और मामला दर्ज करवाया. साइबर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है.

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एनी डेस्क से कैसे होती है ठगी

एनी डेस्क एप मोबाइल में डाउनलोड करते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाती है. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआई एप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी एप को आसानी से ऑपरेट कर रुपए उड़ा लिए जाते हैं. इस एप को साइबर अपराधी लोगों को उनके मोबाइल के माध्यम से डाउनलोड करवाते हैं. इसके बाद मोबाइल के सिस्टम पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करता है.

साइबर अपराधियों से बचाव

कैसे करते हैं लोगों से ठगी

इस एप को डाउनलोड किए जाने के बाद नौ अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल में फीड करता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वह उसे एक्सेस कर लेता है. अपराधी खाता धारक के फोन के सभी डेटा की चोरी कर लेता है. वह इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपए उड़ा लेते हैं.

इंटरनेट से ना निकालें टोल फ्री नंबर

रांची के साइबर डीएसपी यशोधरा ने बताया कि कभी भी किसी टोल फ्री नंबर के लिए इंटरनेट का प्रयोग ना करें. इंटरनेट पर साइबर अपराधियों ने टोल फ्री नंबर डाल रखे हैं और उन्हीं के माध्यम से एनी डेस्क एप डाउनलोड करवा कर लोगों के खाते से पैसे गायब करते हैं.

Last Updated : Jan 10, 2021, 6:04 PM IST

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