रांची:साइबर अपराधी समस्या पैदा करते हैं और फिर उसके समाधान के लिए खुद ही पहुंच जाते हैं. ठगी के लिए साइबर अपराधी नए-नए तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. आलम यह है कि रांची, धनबाद जैसे शहरों से बैठे-बैठे विदेशी लोगों के साथ भी ठगी की जा रही है और यह सब संभव हो रहा है फर्जी कॉल सेंटर के माध्यम से.
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क्या है मामला ?
आप अपने कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं और अचानक आपके कंप्यूटर पर एक समस्या आ खड़ी होती है. इसकी वजह से आपका कंप्यूटर सही तरीके से काम नहीं करता है. अचानक स्क्रीन पर एक पॉपअप विंडो चमकने लगता है. उसी दौरान स्क्रीन पर एक टोल फ्री नंबर शो करता है और उसमें लिखा रहता है कि 'कॉल फॉर समाधान'. आप अपनी समस्या का समाधान ऑनलाइन तरीके से ही करने की चाहत में ऑनलाइन नंबर निकाल कर उस टेक्निकल एक्सपर्ट से अपने सिस्टम को ठीक करने की गुहार लगाते हैं.
यहां फोन के एक तरफ जो शख्स होता है वह अपने कंप्यूटर पर आई एक समस्या का समाधान चाह रहा होता है. वहीं, दूसरी तरफ बैठा 'टेक्निकल एक्सपर्ट' समाधान बताता है. इसकी एवज में यूजर फीस के रूप में एक तय रकम चुकाता है और बात खत्म हो जाती है. यहां आप सोच रहे होंगे कि मामला बिल्कुल साफ सुथरा है लेकिन यह बात इतनी सीधी नही है. यहां बड़े ही चालाकी से एक व्यक्ति के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दे दिया गया.
टेक सपोर्ट स्कैम से फंसा रहे लोगो को
दरअसल, साइबर अपराधियों ने इन दिनों आम लोगों से ठगी के लिए नए तरीके खोज लिए हैं. इस ठगी का नाम है टेक सपोर्ट स्कैम. झारखंड सीआईडी के साइबर डीएसपी सुमित कुमार के अनुसार वर्तमान समय में साइबर अपराधी लोगों से ठगी के लिए छोटे-छोटे फर्जी कॉल सेंटर चला रहे हैं. साइबर अपराधी कंप्यूटर के सिक्योरिटी सिस्टम को चकमा देकर उसकी स्क्रीन पर एक पॉप अप विंडो चमकाते हैं. इस पर यह चेतावनी लिखी होती है कि उनके कंप्यूटर में एक वायरस घुस गया है जो उनके क्रेडिट कार्ड, फेसबुक और ई-मेल जैसी जानकारियां चुरा रहा है. इस दौरान यूजर को यह बताया जाता है कि अगर उन्होंने सिस्टम को बंद किया तो आगे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए विंडोज का सिक्योरिटी सिस्टम उसे ब्लॉक कर देगा.
मैसेज के आखिरी में एक नंबर आता है. साथ ही निर्देश भी रहता है कि आप अपने कंप्यूटर को लॉक होने से बचाने के लिए अगले 5 मिनट के अंदर इस पर फोन करें. फोन करने पर दूसरी तरफ मौजूद साइबर अपराधी रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने को कहता है. जिसके बाद उस सॉफ्टवेयर की मदद से साइबर अपराधी कंप्यूटर का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है और स्क्रीन पर कुछ दिखाकर यूजर को झांसे में ले लेता है. इसके समाधान के तौर पर साइबर अपराधी पांच से दस हजार रुपए क्लीनअप पैकेज का ऑफर देते हैं. फिर एक फर्जी क्लीन अप सॉफ्टवेयर को बेचने के नाम पर यूजर से पैसे का भुगतान करा लेता है. साइबर अपराधियों के झांसे में फंस कर यहां एक व्यक्ति जिसके सिस्टम में न कोई वायरस था, न ही कोई सफाई हुई और न कोई सॉफ्टवेयर खरीदा गया, लेकिन यूजर की जेब साफ हो गई.