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झारखंड में कोरोना के पाए गये कम मरीज, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

देश और दुनिया में कोरोना ने जमकर कहर मचा रखा है. भारत के अधिकांश राज्यों में कोरोना ने बड़े पैमाने पर हाहाकार मचाया. झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा. हालांकि यहां अन्य राज्यों की तुलना में स्थिति काफी बेहतर है.

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Published : Dec 17, 2020, 12:05 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 12:30 PM IST

रांचीः राज्य में कोरोना की वजह से अब तक एक हजार मौत हुई है जोकि निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन कोरोना के कारण आई क्षति की बात करें तो जो आंकडे़ सरकार द्वारा दिए गए हैं उससे कहीं ना कहीं राहत की भी बात कही जा सकती है.

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वर्तमान में अगर कोरोना से संक्रमित हुए मरीजों की संख्या देखी जाए तो अब तक कोरोना से संक्रमित हुए मरीजों की संख्या लगभग एक लाख 12 हजार तक पहुंच चुकी है तो वहीं एक लाख 9 हजार मरीज ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज भी हुए हैं.

अगर अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड की बात करें तो यहां पर संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या और कोरोना से मरने वाले मृतकों की संख्या में भी काफी अंतर है.

पूरे देश में संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 75 लाख तक पहुंच गई है, जबकि कोरोना से मरने वाले मृतकों की संख्या भी 1 लाख 70 हजार के आंकड़े को छू रहे हैं, लेकिन झारखंड में मृतकों और कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या राष्ट्र अनुपात के हिसाब से काफी कम है.

31 मार्च को पहला मरीज

31 मार्च को झारखंड में कोरोना की पहला मरीज पाया गया था उसके बाद लगभग 31 सितंबर तक संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई क्योंकि उस वक्त प्रवासी मजदूर और बाहर से आने वाले लोगों की संख्या भी अधिक थी लेकिन धीरे-धीरे जब बाहर से आने वाले लोगों का आगमन कम हुआ तो झारखंड में भी संक्रमित मरीजों के आंकड़े कम होने लगे.

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कोरोना के मरीजों की संख्या में आ रही कमी को देखते हुए रांची सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट व मेडिकल ऑफिसर डॉ विमलेश बताते हैं कि यदि कोरोना के मरीजों की संख्या में झारखंड कम हुआ है तो इसका मुख्य कारण यहां के लोगों की बुद्धिजीविता और बरती गई सावधानियां हैं.

अन्य राज्यों की तुलना में कम फैला प्रकोप

वहीं उन्होंने बताया कि झारखंड में बेहतर और स्वच्छ वातावरण के कारण यहां के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत है इसलिए भी करोना का प्रकोप अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा नहीं फैल सका.

हालांकि कोरोना एक छुआछूत की बीमारी है इसलिए लॉक डाउन के दौरान जब बाहर में काम करने वाले लोग झारखंड वापस आए तो यहां के रहने वाले लोग भी संक्रमित होते चले गए.

गौरतलब है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरा होने के बावजूद भी झारखंड गरीब राज्यों में शामिल है इसीलिए यहां के ज्यादातर लोग बाहर जाकर कमाने का काम करते हैं और ऐसे लोग ही कोरोना काल में जब अपने राज्य झारखंड लौटे तो यहां के लोगों को भी संक्रमित करते चले गए.

जिस वजह से अप्रैल से सितंबर तक संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई, लेकिन अब वर्तमान में स्थिति सामान्य हो रही है.

संक्रमित मरीजों की संख्या में भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है लेकिन अभी भी जरूरत है कि कोरोना को झारखंड में हराने के लिए झारखंडवासियों को इसी तरह से मास्क सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहना होगा ताकि झारखंड कोरोना की जंग मजबूती से लड़ सकें.

Last Updated : Dec 17, 2020, 12:30 PM IST

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