रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में 46 लाख के साथ कोलकाता में पकड़े गए कांग्रेस से निलंबित विधायकों (MLAs suspended from Congress) की ओर से रांची में किए गए जीरो एफआईआर को कोलकाता ट्रांसफर करने के खिलाफ दाखिल याचिका की पर सुनवाई हुई. मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा सका है. जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और मामले के सूचक अनूप सिंह को 2 सप्ताह का समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया है.
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राज्य सरकार और सूचक के जवाब दाखिल होने के 2 सप्ताह बाद प्रार्थी इसका प्रतिउत्तर दाखिल कर सकता है. प्रार्थी की ओर से भी कोर्ट से समय की मांग की गई. कहा गया कि इससे संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है. बंगाल सरकार की ओर से मामले में जवाब दाखिल कर दिया गया. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विनोद साहू ने पैरवी की. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2023 निर्धारित की है. यह सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की कोर्ट में हुई. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को मामले की जांच को जारी रखने का निर्देश दिया था. लेकिन कोर्ट ने चार्जशीट दायर करने पर रोक लगाई थी.
बता दें कि इन 3 विधायकों के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में अनूप सिंह की ओर से जीरो एफआईआर हुआ था, जिसे कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया था. विधायकों ने इसे कोलकाता भेजे जाने को निरस्त करने मांग की है. प्रार्थी विधायकों का कहना है कि झारखंड में जांच होनी चाहिए, कोलकाता में इसकी जांच नहीं होनी चाहिए. झारखंड के तीन विधायकों के खिलाफ कांग्रेस विधायक अनूप सिंह की ओर से जीरो एफआईआर दर्ज किया गया है, जिसमें अनूप सिंह ने सरकार गिराने की साजिश में इन विधायकों के शामिल होने का आरोप लगाया है.
यह भी बता दें कि इन तीन विधायकों के बेल पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने पुलिस को 10 नवंबर को जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है. उक्त तीनों विधायकों को 46 लाख कैश के साथ 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कोलकाता पुलिस ने पकड़ा था. कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें तीन महीने की सशर्त जमानत दी है. कोलकाता हाइकोर्ट ने कहा था कि इन तीनों को अपने पासपोर्ट जमा करने होंगे. साथ ही इन तीनों को 3 महीने तक कोलकाता में ही रहना होगा.