रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी (Jharkhand Pradesh Congress Committee) के प्रवक्ताओं ने गुरुवार को पूर्व सीएम रघुवर दास (raghubar das) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि रघुवर दास के शासनकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है कि करीब 465 करोड़ की लागत से निर्मित झारखंड विधानसभा का नया भवन आज हवा में हिचकोले खा रहा है. एक-एक कर गुबंद, छज्जे और सीलिंग टूट रहे हैं. यहां तक कि अनुमानित राशि से डेढ़ गुणा अधिक कीमत पर भवन बनाए गए, जिसकी गुणवत्ता दो-तीन साल के अंदर ही सबके सामने है.
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नए भवन में बैठने से विधायकों को डर
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि रघुवर दास के शासनकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) के हाथों आनन-फानन में जिस विधानसभा के नए भवन का उदघाटन कराया गया था. उसकी स्थिति कैसी है, इसकी सच्चाई आज सभी के सामने आ रही है. झारखंड विधानसभा के नये भवन की छज्जे, गुबंद और सीलिंग हवा की तेज रफ्तार को भी नहीं झेल पा रहे है. नए भवन में आगजनी के साथ ही टूट की तीन बड़ी घटना हो चुकी है. इससे अब विधानसभा के नए भवन में बैठने से विधायकों को भी डर लगेगा.
विधानसभा सचिवालय के पदाधिकारी और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डाल कर काम करने को विवश हैं. कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि रघुवर शासन काल में जितने भी महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, चाहे मोमेंटम झारखंड हो या भवनों, बांध हों सबकी जांच होनी चाहिए.
रघुवर शासन काल में झारखंड बना लूटखंड
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि रघुवर दास के शासनकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी सिर्फ विधानसभा के नए भवन तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके शासनकाल में जितने भी बांध बने, पुल-पुलिया बने और सड़क समेत अन्य भवन निर्माण हुए, सबकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में है. भाजपा शासनकाल में झारखंड को पूरी तरह से लूटखंड बना दिया गया था और एक-एक कर धीरे-धीरे सारी सच्चाई सामने आ रही है.
रघुवर दास कार्यकाल में निर्मित भवनों, पुल, बांध की उच्चस्तरीय जांच
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि रोज-रोज प्रेस कांफ्रेंस करने वाले भाजपा नेताओं को विधानसभा के नए भवन में हो रही टूट और पुल ध्वस्त होने के मामले में भी अपनी बात को रखनी चाहिए. रघुवर दास कार्यकाल में निर्मित भवनों, पुल, बांध की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कहीं इसके तार पीएमओ तक तो नहीं जुड़े हुए हैं.