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केंद्रीय एजेंसियों से जुड़े फैसले पर जेएमएम-कांग्रेस हेमंत सरकार के साथ, कहा- तानाशाही से निपटने के लिए उठाने पड़ते हैं कदम - झारखंड मुक्ति मोर्चा

Hemant government decision. हेमंत सोरेन सरकार के फैसले के बाद अब केंद्रीय एजेंसी राज्य सरकार के अधिकारियों से सीधे पूछताछ नहीं कर सकती है. बीजेपी ने इस फैसले को भ्रष्टाचार को सपोर्ट करने वाला बताया है, वहीं सत्ताधारी दलों ने इसे सही बताया है. कानून के जानकार भी राज्य सरकार के निर्णय को विधि सम्मत बताते हैं.

Congress and JMM statement on Hemant government decision regarding central agencies
Congress and JMM statement on Hemant government decision regarding central agencies

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 12, 2024, 11:19 AM IST

Updated : Jan 12, 2024, 3:06 PM IST

हेमंत कैबिनेट के फैसले पर नेता और अधिवक्ता का बयान

रांची: हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि केंद्रीय एजेंसियां अब सीधे राज्य सरकार के अधिकारियों से सीधे पूछताछ नहीं कर सकती. झारखंड सरकार के इस फैसले को जहां भारतीय जनता पार्टी ने भ्रष्टाचारियों को कवच प्रदान करने की साजिश करार दिया है, वहीं सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने सरकार के फैसले को सही बताते हुए कहा कि जब केंद्र में तानाशाही की सरकार बैठी हो तो फिर उससे निपटने के लिए इस तरह के निर्णय लेने पड़ते हैं. इस बीच विधि विशेषज्ञ और अधिवक्ता अविनाश पांडेय ने हेमंत सोरेन सरकार के फैसले को विधि अनुसार बताया है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि राज्य के बाहर की एजेंसियों को राज्य के अधिकारियों से पूछताछ के नियम पहले से कई राज्यों में है, यह कोई नया नहीं है. झामुमो नेता ने कहा कि दूसरी बात यह है कि जब केंद्र में तानाशाह की सरकार हो और राजनीतिक विद्वेष की वजह से प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जैसी एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने लगे तो फिर इस तरह की व्यवस्था की जाती है. भाजपा के इशारे पर जब चाहे, तब जांच के नाम पर राज्य के अधिकारियों को बुला ले, ऐसे में राज्य में विकास की गति धीमी होती है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्य में सेवा दे रहे सरकारी अधिकारियों को केंद्रीय एजेंसियों के पास पूछताछ के लिए जाने से पहले अपने वरीय अधिकारी से परमिशन लेने का फैसला कोई नया नहीं है. उन्होंने कहा कि कैसे झारखंड में यह मिसिंग था, यह बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि यह तो नहीं कहा जा रहा है कि कोई अधिकारी पूछताछ के लिए केंद्रीय एजेंसी के समक्ष पेश नहीं होगा. सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि पहले इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को देनी है. इसमें कोई गलत बात भी नहीं है क्योंकि एक अधिकारी के साथ उसके विभाग की भी कई जानकारियां होती हैं.

अधिवक्ता और विधि विशेषज्ञ अविनाश पांडेय ने दो दिन पहले हेमंत कैबिनेट द्वारा लिए गए उस फैसले को विधि के अनुसार सही करार दिया, जिसके अनुसार अब केंद्रीय एजेंसियों को राज्य के अधिकारियों से पूछताछ के लिए समन या नोटिस देने से पहले उनके हेड को इसकी जानकारी देनी होगी. अधिवक्ता अविनाश पांडेय ने कहा कि इसके बाद केंद्रीय एजेंसी को पूछताछ के लिए अगर अधिकारी उपलब्ध नहीं होते तो वह मुख्यमंत्री कार्यालय या कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

Last Updated : Jan 12, 2024, 3:06 PM IST

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