रांची:झारखंड में महागठबंधन के दलों में बड़े भाई और छोटे भाई का राग फिर शुरू हो गया है. कर्नाटक में कांग्रेस ने जहां शपथ ग्रहण समारोह के बहाने भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी एकता का मैसेज देने की कोशिश की है तो वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर झारखंड में महागठबंधन की पार्टियां आपस में अभी से ही लड़ने लगी हैं.
यह भी पढ़ें:Ranchi News: 2000 के नोट बंद करने के फैसले पर झामुमो और भाजपा आमने-सामने, आजसू ने बताया सही कदम
राज्य की सबसे बड़ी पार्टी झामुमो ने 2019 से आज की स्थिति में हुए बदलाव की बात कहकर यह संदेश देना शुरू कर दिया है कि 2024 लोकसभा चुनाव का फार्मूला 2019 वाला नहीं होगा. वहीं कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि झारखंड में महागठबंधन का फॉर्मूला तो 2019 वाला ही रहेगा. ऐसे में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा इस उम्मीद में है कि आनेवाले दिनों में महागठबंधन दलों के बीच टकराहट और बढ़ेगी.
झारखंड में धरातल पर जो जहां मजबूत हैं, वह वहां चुनाव लड़ें-झामुमो: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और शिबू सोरेन परिवार के बेहद करीबी सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि भाजपा को परास्त करने के लिए यही एक फाॅर्मूला है कि जो धरातल पर जहां मजबूत हैं, वह लोकसभा में वहां से चुनाव लड़े. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि 2019 से आज की स्थिति बदली हुई है, कई क्षेत्रों में हमारी ताकत बढ़ी है.
लोकसभा में तो कांग्रेस ही बड़ा भाई-राकेश सिन्हा:झारखंड में लोकसभा चुनाव 2024 में बड़े भाई की भूमिका को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से दिए बयान के जवाब में कांग्रेस नेता और प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि लोकसभा में तो बड़ा भाई कांग्रेस ही रहेगा. उन्होंने कहा कि 2019 में जो चुनावी फार्मूला लागू हुआ था, वही आज भी लागू है. इसके तहत विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा बड़ा भाई की भूमिका में रहे, हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का बड़ा भाई कांग्रेस ही है.
यह भी पढ़ें:बेंगलुरु में एक मंच पर आए खड़गे, राहुल, पवार और नीतीश, विपक्षी एकजुटता का संदेश देने की कोशिश
अभी से ही खींचतान शुरू-भाजपा:लोकसभा चुनाव 2024 में होना है, लेकिन अभी से ही महागठबंधन के दलों में कौन बड़ा-कौन छोटा का विवाद शुरू हो गया है, ऐसे में झामुमो और कांग्रेस के बीच की बयानबाजी से झारखंड भाजपा सुकून में है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि चाईबासा लोकसभा सीट पर हक जताने के बाद अब झामुमो ताकत बढ़ने की बात कह रही है, आगे यह टकराहट और बढ़ेगी. प्रदीप सिन्हा ने कहा कि जब महागठबंधन के दलों के बीच खींचतान बढ़ेगा तो उसका फायदा भी विपक्ष को मिलेगा.
2019 में लोकसभा चुनाव में था 7-4-2-1 का फार्मूला: वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में चार दल शामिल थे. कांग्रेस को 14 में से 07 लोकसभा सीट मिली थी. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा को चार, बाबूलाल मरांडी की तत्कालीन पार्टी झारखंड विकास मोर्चा को दो और राष्ट्रीय जनता दल को एक लोकसभा सीट मिली थी. लेकिन अब इस बार झामुमो को लोकसभा में चार से अधिक सीटें चाहिए तो राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता भी एक लोकसभा सीट पर सहमत नहीं होने वाला बयान दे चुके हैं. ऐसे में देखना होगा कि मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों के बीच झारखंड में क्या सहमति बनती है.