रांची: विधायिका को मजबूत करने के उद्देश्य से स्थापित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ झारखंड शाखा की शनिवार को बैठक हुई. स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो की अध्यक्षता में विधानसभा सभागार में हुई इस बैठक में सदस्यों की अनुपस्थिति ने इस महत्वपूर्ण बैठक को मात्र औपचारिकता बनाकर रख दिया. 111 सदस्यों वाली राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की बैठक में करीब 25 सदस्य ही पहुंचे थे. मुख्यमंत्री जो इस संघ के उपसभापति होते हैं उनके साथ साथ कई सदस्य बैठक से अनुपस्थित दिखे. राष्ट्रमंडल संसदीय संघ में वर्तमान और पूर्व विधायक के अलावा वर्तमान और पूर्व सांसद सदस्य होते हैं.
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सदस्यों की अनुपस्थिति का मामला बैठक में भी उठा: विधानसभा सभागार में आयोजित इस बैठक की शुरुआत विधानसभा के प्रभारी सचिव के स्वागत भाषण से हुआ. बैठक में सदस्यों की उपस्थिति कम होने का मुद्दा छाया रहा. पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की झारखंड शाखा में कहने को 111 सदस्य हैं लेकिन सदस्यों की अनुपस्थिति बता रही है कि विधायिका को मजबूत करने के उद्देश्य से बने इस संघ के प्रति सदस्य कितने गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका के बीच समन्वय बनाने के लिए यह बहुत ही उपयुक्त प्लेटफार्म है. मगर झारखंड गठन के 21 वर्षों के बाद भी हम इसके प्रति गंभीर नहीं हुए है.
इस अवसर पर निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि लोकतंत्र में विधायिका को काफी शक्ति दी गई है. आवश्यकता इस बात की है कि इसका समुचित उपयोग किया जा सके. वित्तीय शक्ति आज भी पारंपरिक रुप से कार्यपालिका के हाथों में है. इसे विधायिका के पास देने का प्रयास किया जाना चाहिए. इसके लिए यदि संघ पहल करते हुए कार्यशाला आयोजित करे तो अच्छा प्रयास माना जायेगा.
स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने सदस्यों की अनुपस्थिति पर कहा कि बजट सत्र और शनिवार रविवार के कारण कई सदस्यों ने क्षेत्र में होने की सूचना दी है, जिस वजह से कम उपस्थिति देखी जा रही है. संघ की इस वार्षिक बैठक में नये कार्यसमिति के गठन और भविष्य में कार्यशाला आयोजित करने पर चर्चा हुई. गौरतलब है कि 1911 में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का गठन हुआ था, जिसके पीछे उद्देश्य यह था कि विधायिका को मजबूत करने के लिए इसके माध्यम से प्रयास किए जाएं.