रांचीःवर्ष 2007 में तत्कालीन झारखंड सरकार ने रांची सदर अस्पताल (Ranchi Sadar Hospital) में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से पूर्ण अस्पताल बनाने के लिए सदर अस्पताल परिसर में 127 करोड़ की लागत से 500 बेड के अस्पताल भवन की आधारशिला रखी थी, परंतु 14 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आज तक निर्माण कार्य में देरी से रांची सदर अस्पताल नया भवन स्वास्थ्य विभाग (Delay of Ranchi Sadar Hospital construction) को हैंड ओवर नहीं किया जा सका है. हालांकि रांची के सिविल सर्जन 30 सितम्बर तक भवन निर्माण कर रही विजेता कंस्ट्रक्शन से हैंड ओवर मिल जाने की उम्मीद जता रहे हैं. हालांकि उनकी उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही है. अस्पताल भवन निर्माण में देरी और उससे बीमार, गरीब मरीजों को होने वाली दिक्कत को लेकर 2016 में झारखंड उच्च न्यायालय में PIL दाखिल करने वाले समाजसेवी ज्योति शर्मा कहते हैं कि कुछ दिन पहले ही वह सदर अस्पताल गए थे लेकिन लगता नहीं 30 सितंबर तक यह शुरू हो जाएगा.
रांची सदर अस्पताल नया भवन पर याद आई सीएम हेमंत की बात, 14 साल में श्रीराम का वनवास खत्म पर नहीं पूरा हुआ बिल्डिंग निर्माण - विजेता कंस्ट्रक्शन
द्वापर युग में 12 वर्ष वनवास और एक वर्ष अज्ञातवास के बाद पांडवों के वनवास के दिन खत्म हो गए. इससे पहले त्रेता युग में 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या के लोगों का श्रीराम दर्शन का इंतजार भी खत्म हो गया. लेकिन रांची सदर अस्पताल नया भवन निर्माण कार्य के 14 वर्ष से अधिक बीत गए हैं और नये अस्पताल भवन के लिए रांची के लोगों का इंतजार पूरा होता (Delay of Ranchi Sadar Hospital construction) नहीं दिख रहा है. यह हाल तब है जब जनवरी 2021 में कोरोना टीकाकरण का शुभारंभ करने आए सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि अब वनवास खत्म होना चाहिए.
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PIL दाखिल करने वाले ज्योति शर्मा कहते हैं कि उनकी PIL याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण आदेश दिए थे. सरकार उसे भी पूरा नहीं करा सकी. अब अवमानना का मामला अदालत में है. अदालत को सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 13 बार नए भवन का हैंडओवर मिलने की तिथि फेल हुई है. ज्योति शर्मा कहते हैं कि देरी की वजह से 127 करोड़ में तैयार होने वाले भवन की लागत 364 करोड़ हो गई. इसकी जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए. अगर आज 500 बेड का अस्पताल चलता रहता तो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्यवासियों को बहुत राहत मिलती. क्योंकि कोर्ट के आदेश से इसी भवन का एक हिस्सा जो अस्पताल को मिला, उसमें अभी मातृ एवं शिशु केंद्र चलता है और कोरोना के दौरान वहां कोरोना रोगियों का भी इलाज हुआ.
सिविल सर्जन के कहे अनुसार भी अगर भवन 30 सितम्बर तक हैंडओवर कर दिया जाता है तब भी डॉक्टर्स से लेकर अन्य मानव संसाधन को जुटाने में लंबा समय लग सकता है. ऐसे में इस वर्ष इस 500 बेड के अस्पताल का लाभ राजधानी और रांची की बीमार जनता को मिल पाएगा इसकी उम्मीद कम ही है .
मधु कोड़ा राज में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने किया था 2007 में शिलान्यासःवर्ष 2007 में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए लगभग 127 करोड़ की राशि से 500 बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने के लिए आधारशिला रखी गई थी, तब से अब तक 14 साल से अधिक का समय बीत गया पर भवन निर्माण का काम ही पूरा नहीं हुआ है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अब इसका वनवास खत्म होना चाहिएःमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वर्ष 2021 के जनवरी महीने में जब राज्य में कोरोना टीकाकरण का शुभारंभ करने आए थे तब उन्होंने कहा था कि अब इसका वनवास खत्म होना चाहिए, पर मुख्यमंत्री के इस संदेश के बाद एक साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद अस्पताल भवन नहीं बन पाया है.
झारखंड उच्च न्यायालय में PIL:आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेवी ज्योति शर्मा के PIL पर अदालत में लगातार सुनवाई चल रही है, अदालत के आदेश का पालन नहीं होने पर अवमाननावाद याचिका दायर करने वाले ज्योति शर्मा ने ईटीवी भारत की टीम से कहा कि PIL का ही नतीजा हुआ कि 2018 में 200 बेड अस्पताल शुरू हुआ और बाकी के 300 बेड अस्पताल के लिए उच्च न्यायालय मॉनिटरिंग कर रहा है.
लागत करीब ढाई गुना बढ़ गईः14 वर्ष से अधिक समय से बन रहे नए भवन का निर्माण के समय करीब 127 करोड़ की योजना थी जो बढ़ते बढ़ते अब करीब 364 करोड़ हो गई. अभी भी भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है और इस भवन के पश्चिमी भाग का कुछ हिस्सा ही उपयोग में है, जबकि मशीन और स्टाफ आदि की व्यवस्था में और समय लगेगा.