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Ramgarh By-Election: बिन सीएम कैसे होगा नैया पार! कांग्रेस स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं हैं सहयोगी दलों के नेताओं के नाम - उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारक

रामगढ़ उपचुनाव को लेकर यूपीए और एनडीए जीत की रणनीति बनाने में लगे हैं. धुआंधार चुनाव प्रचार चल रहे हैं. वोटिंग में अब कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन अभी तक यह फाइनल नहीं हुआ है कि सीएम हेमंत सोरेन चुनाव प्रचार करने जाएंगे या नहीं...

no name of CM in star campaigner
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Published : Feb 14, 2023, 7:29 PM IST

रांची: रामगढ़ चुनाव की सरगर्मी पीक पर है. सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के लिए एंड़ी चोटी का जोड़ लगा रहे हैं. छोटे-छोटे सभा कर लोगों को रिझाने की कोशिश हो रही है. सभी दलों के जिलास्तर के नेता मतदाताओं से मिलकर उन्हें अपने पाले में करने के प्रयास में लगे हैं. राज्यस्तर के नेता रांची में बैठकर रणनीति बना भी बना रहे हैं. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला यूपीए और एनडीए के बीच में है. एनडीए के नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं, सुनीता चौधरी के नॉमिनेशन से लेकर चुनाव प्रचार तक में साथ-साथ जा रहे हैं, लेकिन यह चीजें यूपीए में नहीं दिख रही है.

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एनडीए की तरफ से आजूस सुप्रीमो सुदेश महतो, सांसद चंद्रप्राकाश चौधरी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, विधायक सीपी सिंह समेत रांची और रामगढ़ के आसपास के विधायक काफी सक्रिय हैं. एनडीए की तरह यूपीएम में उपचुनाव को लेकर समन्वय या सक्रियता नहीं दिख रही है. कांग्रेस की ओर से जारी स्टार प्रचारकों की सूची में कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत राज्य सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री और सभी विधायकों के नाम हैं, लेकिन इसमें सीएम समेत किसी भी जेएमएम या आरजेडी नेताओं के नाम नहीं हैं. तो क्या कांग्रेस अकेले दम पर यह उपचुनाव लड़ना चाहती है, या महागठबंधन अलग रणनीति पर काम कर रहा है. हालांकि नॉमिनेशन के दिन यूपीए ने दम दिखाया था, कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ-साथ आरजेडी कोटे से मंत्री सत्यानंद भोक्ता और जेएमएम कोटे से मंत्री जोबा मांझी भी मौजूद थीं.

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि वर्तमान में झारखंड में जो स्थिति है वह कई संकेत दे रहा है. एक तरफ युवा रोजगार और नियोजन नीति को लेकर नाराज हैं, वहीं कई युवा सार्वजनिक तौर पर उपचुनाव में नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दे चुके हैं. 1932 के मुद्दे पर यूपीए में बाहर से भले ही सब कुछ ठीक लग रहा हो लेकिन अंदर में सब ठीक नहीं है. कांग्रेस की ओर से कई नेता इसका विरोध कर चुके हैं. ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि हेमंत सरकार स्थानीय नीति के प्रस्ताव में संशोधन करे. शायद इस पर अंदरखाने विचार भी हो रहा हो. बीच का रास्ता निकालने पर मंथन भी चल रहा हो. संभवत: 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति से 1932 गायब हो जाए और खतियान रह जाए. एनडीए भी खुलकर 1932 का विरोध नहीं पर पा रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो रामगढ़ का उपचुनाव यूपीए और एनडीए दोनों के लिए चुनौती से कम नहीं है.

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जेएमएम का हर कार्यकर्ता स्टार प्रचारक: जेएमएम के नेता मनोज पांडे ने कहा कि यूपीए के सहयोगी दलों के बीच समन्वय ग्राउंड लेवल पर दिख रहा है, जबकि एनडीए के सहयोगी आजसू और बीजेपी का समन्वय ड्राइंग रूम में दिख रहा है. उन्होंने कहा कि जेएमएम की ओर से उपचुनाव में कौन प्रचार करेगा, मुख्यमंत्री रामगढ़ जाएंगे कि नहीं इस पर शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि झामुमो का एक-एक कार्यकर्ता स्टार प्रचारक है, वह फिल्ड में अपना काम कर रहा है.

तेजस्वी यादव से नहीं मिला है कोई निर्देश: आरजेडी के उपाध्यक्ष राजेश यादव का कहना है कि पार्टी का पूरा समर्थन कांग्रेस उम्मीदवार बजरंग महतो के साथ है. उन्होंने कहा कि जहां तक चुनाव प्रचार की बात है तो कांग्रेस या जेएमएम की ओर से कोई संपर्क नहीं किया गया है. अगर किया गया होता तो तेजस्वी यादव जब रांची आए थे तो हमलोगों को निर्देश दिए होते. उन्होंने कहा कि झारखंड के महागठबंधन के तीनों दलों के बड़े नेताओं को चाहिए था कि वह आपस में बैठकर यह तय करते कि कौन नेता कहां कहां, किस क्षेत्र में चुनाव प्रचार का जिम्मा संभालेंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ.

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