रांची:हजारीबाग जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को अफीम और ब्राउन सुगर प्लांट कर जेल भेजने के मामले में सीआईडी ने केस टेकओवर कर लिया है. 3 मार्च को हजारीबाग के लोहसिंघिया थाने की पुलिस ने राजेश मिश्रा को नारकोटिक्स पद्धार्थ के साथ पकड़े जाने के बाद जेल भेजा था. पुलिसिया जांच में यह बात सामने आई थी कि भू-माफियाओं और जिला प्रशासन के कर्मियों की मिलीभगत से राजेश मिश्रा को फंसाया गया था. जांच के बाद हजारीबाग पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया था. 21 मार्च को राजेश मिश्रा की जेल से रिहाई हुई थी.
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डीएसपी को बनाया गया जांच पदाधिकारी
सीआईडी हजारीबाग के क्राइम ब्रांच प्रभारी डीएसपी तौकीर आलम को केस का मुख्य जांच पदाधिकारी बनाया गया है, साथ ही उन्हें सहयोग देने के लिए इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारियों को भी टीम में शामिल किया गया है. सीआइडी एडीजी अनिल पालटा ने बताया कि मामले में पुलिस मुख्यालय के आदेश पर केस को टेकओवर किया गया है.
जमीन के संबंध में मांगी थी सूचना
राकेश मिश्रा ने हजारीबाग शहर के 12 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री किए जाने को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, जिसके बाद वह भू-माफियाओं और जिला प्रशासन के भ्रष्ट कर्मियों के निशाने पर आ गए थे. साजिश कर भू-माफियाओं ने राजेश मिश्रा की गाडी में आधा किलो अफीम, एक पुडिया ब्राउन सुगर और एक लाख रुपया रख दिया था. गिरफ्तारी के बाद राजेश मिश्रा को जेल भेज दिया गया था. आरटीआई कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के बाद हजारीबाग में कई संस्थाओं ने आंदोलन किया था, साथ ही राष्ट्रपति को पत्राचार कर सीबीआई जांच की मांग की गई थी. मामले में तफ्तीश के बाद हजारीबाग पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वहीं पुलिस की भूमिका की भी जांच की जा रही थी. अब सीआईडी भी पूरे मामले में हजारीबाग पुलिस की भूमिका की जांच करेगी.