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अवैध विस्फोटक रखने के मामले में कांग्रेस नेता अली अकबर को सीआईडी ने दी क्लीनचिट, नहीं मिला कोई साक्ष्य

पाकुड़ जिले के अली एंड ब्रदर्स कंपनी के मालिक और कांग्रेस नेता अली अकबर को सीआईडी ने क्लीनचिट दे दी है. अली अकबर पर विस्फोटक रखने के आरोप में वर्ष 2017 में प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसे सीआईडी ने 2018 में टेकओवर किया था. अब साक्ष्य के अभाव में सीआईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में क्लीनचिट दे दी है.

CID gives clean chit to Jharkhand Congress leader Ali Akbar
कांग्रेस नेता अली अकबर को सीआईडी ने दी क्लीनचिट

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Published : Sep 15, 2021, 10:49 PM IST

रांचीः झारखंड के बड़े पत्थर कारोबारियों में शामिल पाकुड़ जिले के अली एंड ब्रदर्स कंपनी के मालिक और कांग्रेस नेता अली अकबर को सीआईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में क्लीनचिट दे दी है. अली अकबर सहित 5 लोगों के खिलाफ पाकुड़ के माल पहाड़ी थाने में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में सीआईडी ने अली अकबर को क्लीनचिट दे दी.

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क्या है पूरा मामला

कांग्रेसी नेता और कारोबारी अली अकबर को वर्ष 2019 में सीआईडी ने अवैध विस्फोटक रखने के आरोप में जेल भेजा था. पाकुड़ के माल पहाड़ी ओपी में दर्ज केस को सीआईडी ने 18 अप्रैल 2018 को टेकओवर किया था. सीआईडी की जांच में केस के वादी और स्वतंत्र गवाहों की ओर से पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. इससे सीआईडी ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को क्लीनचिट दे दी है.

वर्ष 2017 में दर्ज की गई थी प्राथमिकी

जानकारी के मुताबिक 10 अक्तूबर 2017 को अली एंड ब्रदर्स कंपनी के साइट पर पाकुड़ जिला और पुलिस प्रशासन ने छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान जमीन के नीचे से विस्फोटक और जिलेटिन बरामद किए गए थे. इस मामले में दर्ज केस को कुछ माह बाद सीआईडी ने टेकओवर किया था. सीआईडी ने इस मामले में अली अकबर के अलावे अजहर इस्लाम, अजफारूल शेख, क्रशर के मैनेजर बॉबी शेख उर्फ हबीबुल और मुंशी फारूख शेख को आरोपी बनाया था. पुलिस ने इस मामले में अली अकबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

अली अकबर को कैसे मिली क्लीनचिट

बहुचर्चित मामले में अली अकबर ने दावा किया था मैं क्रशर का संचालक नहीं हूं. साक्ष्य के तौर पर सीआईडी के समक्ष क्रशर से संबंधित कागजात, लीज से संबंधित कागजात सहित अन्य सबूत पेश की गई थी. इसके साथ ही क्रशर के लिए विस्फोटक के स्टॉक संबंधी लाइसेंस की जांच भी सीआईडी ने की. एफआईआर में पुलिस ने जिन लोगों को स्वतंत्र गवाह बताया था, वह सीआईडी को दिए बयान में सभी ने अनभिज्ञता जताई. इस स्थिति में साक्ष्य के अभाव में सीआईडी ने केस की फाइल बंद कर दी है.

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