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भीमा कोरेगांव केस में स्टेन स्वामी को माओवादी बता चार्जशीट दाखिल, स्वामी को फ्रंटल आर्गेनाइजेशन पीपीएससी का कंवेनर बताया

भीमा कोरेगांव केस में स्टेन स्वामी को माओवादी बता कर चार्जशीट दाखिल किया गया. NIA ने स्वामी को भाकपा माओवादियों के फ्रंटल आर्गेनाइजेशन पीपीएससी का कंवेनर बताया है.

charge sheet filed in bhima koregaon case stating stan swamy as maoist
भीमा कोरेगांव केस

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Published : Oct 9, 2020, 8:25 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 9:41 PM IST

रांचीः झारखंड के चर्चित मानवाधिकार कार्याकर्ता स्टेन स्वामी के खिलाफ एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में चार्जशीट दायर कर दिया. फादर स्टेन समेत आठ लोगों के खिलाफ एनआईए ने 10 हजार पन्नों की चार्जशीट दायर की है. एनआईए ने अपने चार्जशीट में स्टेन स्वामी को भाकपा माओवादी संगठन का सक्रिय सदस्य बताया है. वहीं गौतम नवलखा के लिंक पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी बतायी गई है.

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क्या है चार्जशीट मेंचार्जशीट में बताया गया है कि स्टेन स्वामी का लगातार संपर्क महाराष्ट्र के भी भाकपा माओवादियों से था. अरबन नक्सलियों की गिरफ्तारी को लेकर भी माओवादी संगठन में उनके द्वारा प्रचार प्रसार किया जाता था. माओवादी कैडरों के लिए फंड भी जुगाड़ने का आरोप फादर स्टेन पर एनआईए ने लगाया है. वहीं उन्हें भाकपा माओवादियों की फ्रंटल आर्गेनाइजेशन परसीक्यूटेड प्रिजनर्स सॉलिडैरिटी कमेटी (पीपीएससी) का संयोजक भी बताया गया है. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि फादर स्टेन स्वामी के पास से कई माओवादी दस्तावेज, माओवादी साहित्य और प्रोपोग्रेंडा मैटेरियल मिले हैं.
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शुक्रवार की पहली फ्लाइट से ले जाया गया फादर स्टेन कोएनआईए के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी अजय कुमार कदम के नेतृत्व में एनआईए टीम ने 8 अक्तूबर की रात फादर स्टेन स्वामी को नामकुम के बगइचा स्थित आवास से गिरफ्तार किया था. शुक्रवार की सुबह एनआईए की टीम पहली ही फ्लाइट से स्टेन स्वामी को रांची से मुंबई ले गई.
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किस-किस पर चार्जशीटएनआईए ने स्टेन स्वामी, दादर के आनंद तेतुंबडे, गौतम नवलखा, डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू, पूणे के सागर गोरखे, रमेश गाइचोर, ज्योति जगताप व मिलिंद तेतुंबडे पर चार्जशीट की है. सभी पर राजद्रोह, अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट और आईपीस की धाराओं में चार्जशीट की गई है. चार्जशीट में बताया गया है कि भीमा कोरेगांव हिंसा को एलगार परिषद के कार्याक्रम के जरिए भड़काया गया था. एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आयी है कि भाकपा माओवादियों को विदेशों से भी हथियार की सप्लाई हुई थी. काफी संगठित तरीके से माओवादियों का संगठन शहरी इलाकों में भी काम कर रहा था. पूणे की पूरी हिंसा को एलगार परिषद और भाकपा माओवादियों की ओर से सुनियोजित साजिश बताया गया है.
Last Updated : Oct 9, 2020, 9:41 PM IST

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