रांची: राज्यपाल सह झारखंड के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि विद्यार्थियों को डिग्री को लेकर कोई परेशानी ना हो. इसे लेकर विश्वविद्यालय भी यूजीसी के गाइडलाइन के तहत अपने अनुसार उपाय निकाले. ऑनलाइन तरीके से विद्यार्थियों को डिग्रियां मिले इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करें. मामले को लेकर विश्वविद्यालयों ने भी कदम बढ़ा दिए हैं.
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भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी की स्थापना की गई है. यह सभी यूनिवर्सिटी और शैक्षणिक बोर्ड के दस्तावेज को सुरक्षित रखने के लिए कॉमन प्लेटफॉर्म है. इसके जरिए विद्यार्थियों को अपने दस्तावेज आसानी से मिल जाएंगे. बशर्ते इस प्लेटफार्म पर संबंधित विश्वविद्यालय का डाटा हो. राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी ना केवल एक अकेडमिक दस्तावेजों का ऑनलाइन संग्रह है. बल्कि इसके जरिए कई संस्थाओं को भी योग्य विद्यार्थियों की जानकारी हासिल होती है. एकेडमिक संस्थानों के लिए यह सुरक्षित प्लेटफार्म है. इसमें गोपनीयता सुनिश्चित करने के अलावा नकली और जाली पेपर प्रमाण पत्रों के लिए एक सॉफ्टवेयर भी तैयार किया गया है. फर्जी प्रमाण पत्रों को डिपॉजिटरी एक्सेप्ट नहीं करता है.
कुलाधिपति का निर्देश: राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों को नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी में जोड़ने का निर्देश दिया है. राज्यपाल ने अपने निर्देश के तहत कहा है कि राज्य के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह जैसे समारोह का डिग्री के लिए इंतजार ना करना पड़े. उचित समय पर उन्हें डिग्री मिले. इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था विश्वविद्यालय अपने स्तर पर करें. नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी जैसे प्लेटफार्म का सहयोग लें. जरूरत पड़े तो विद्यार्थियों के घर तक डिग्रियां मुहैया करवाएं. समय पर डिग्रियां ना मिलने से विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साक्षात्कार, जॉब इंटरव्यू और प्लेसमेंट में भी विद्यार्थियों को परेशानी होती है. ऐसी ही समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से राज्यपाल ने तमाम विश्वविद्यालयों को यह निर्देश दिया है.
विश्वविद्यालयों ने शुरू की है पहल: इधर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय ने इस स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. रांची विश्वविद्यालय ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है. हालांकि इस विश्वविद्यालय के पासआउट तमाम विद्यार्थियों तक डिग्रियां मुहैय्या करा दी गई है. वहीं सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में भी इस दिशा में कदम बढ़ाया गया है. अन्य विश्वविद्यालयों ने भी राज्यपाल के निर्देश को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में कदम बढ़ाने की बात कही है.