रांची: कोरोना काल में 7 लाख 50 हजार से ज्यादा प्रवासी श्रमिक झारखंड लौटे हैं. रोजी-रोटी छोड़कर घर लौटे श्रमिकों को रोजगार चाहिए. अब सवाल है कि क्या प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है. मनरेगा से जुड़े रिकॉर्ड की पड़ताल करने पर यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रवासी श्रमिकों को काम मिल रहा है. अब तक करीब दो लाख प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा चुका है. सबसे खास बात है कि लॉकडाउन अवधि में मनरेगा मजदूरों के खाते में 465 करोड़ रु डाले जा चुके हैं.
मनरेगा के तहत रोजगार सृजन करने के लिए पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीन योजनाओं की शुरुआत की थी. तीनों योजनाओं के नाम हैं- बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पितांबर जल समृद्धि योजना और पोटो हो खेल विकास योजना. ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक तीनों योजनाओं की खुद मॉनिटरिंग कर रही हैं. मनरेगा से जुड़ी योजनाओं में धांधली के कारण कई मनरेगा कर्मी नप भी चुके हैं. मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब श्रमिक जो भी काम करेंगे उसकी सोशल ऑडिट भी साथ-साथ की जाएगी.