रांची:कोरोना का वैक्सीन पेंडेमिक के इस दौर में भी देश और राज्य में राजनीति का बड़ा मुद्दा बना हुआ है. केंद्र सरकार ने झारखंड में सबसे ज्यादा 37.3% वैक्सीन के बर्बाद होने के आरोप लगाया है, जिसके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के ट्विटर हैंडल से इसे भ्रम फैलाने वाला बताया है. वहीं सीएमओ की ओर से कहा गया कि डेटा अपडेट में परेशानी के चलते ऐसा हुआ है, राज्य में केवल 4.65% वेस्टेज हुआ है.
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स्वास्थ्य मंत्री का केंद्र सरकार पर आरोप
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि झूठ, फरेब और जुमलेबाजी के सहारे केंद्र सरकार झारखंड को बदनाम कर रही हैं, आंकड़ों के बाजीगरी और फर्जी आंकड़े जारी करने का क्या मकसद है? स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है...
- क्या इसी तरह के फर्जी आंकड़ों के साथ पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है?
2.आदरणीय प्रधानमंत्री जी, गौर फरमाइए, झारखंड की वैक्सीन की स्थिति ये है
3. जिले को वैक्सीन दिया गया - 48 लाख 63 हजार 660
4. जिलों में वैक्सीन उपलब्ध-06 लाख 56 हजार 532
5. वैक्सीन इस्तेमाल किया गया- 42 लाख 07 हजार 128
आज तक कवरेज
40 लाख 12 हजार 142
अभी तक कुल वेस्टेज
4.635%
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा था
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कई राज्यों से वैक्सीन की बर्बादी 01 % से कम करने के लिए लगातार अपील की जा रही है, लेकिन बहुत से ऐसे राज्य जैसे झारखंड 37.3%, छत्तीसगढ़ 30.2%, तमिलनाडु 15.5%, जम्मू कश्मीर 10.8% और मध्य प्रदेश 10.7% वैक्सीन वेस्टेज हो रहा है, जो राष्ट्रीय औसत 6.3% से काफी अधिक है.
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सीएमओ की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर कहा गया है कि राज्य सरकार के पास अब तक टीके की कुल खुराक की उपलब्धता के अनुसार, वैक्सीन का अपव्यय अनुपात केवल 4.65 प्रतिशत है, तकनीकी कठिनाइयों के कारण टीकाकरण डेटा को केंद्रीय को-विन सर्वर पर पूरी तरह से अपडेट नहीं किया जा सका, इसका अपडेशन प्रक्रिया में है, राज्य सरकार द्वारा जिलों को 48.63 लाख टीके की आपूर्ति की गई है, जिलों द्वारा अब तक 42.07 लाख टीकों का उपयोग किया गया है, जिलों में कुल टीके की कवरेज को देखें तो वह 40.12 लाख है, जबकि अपव्यय का प्रतिशत 4.63 है, राज्य सरकार टीकों की कम से कम बर्बादी सुनिश्चित करने के लिए यथासंभव उपलब्ध वैक्सीन खुराक का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास कर रही है, राज्य के सुदूरवर्ती और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण जागरूकता अभियान के साथ इसे और कम करने का प्रयास किया जा रहा है.