रांची:कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का अंतिम संस्कार 11 अक्टूबर को राजकीय सम्मान के साथ सेंट मेरिज कैथेड्रल में होगा. राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है. मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के संयुक्त सचिव अखिलेश कुमार सिन्हा ने इस बाबत रांची के उपायुक्त और एसएसपी को पत्र जारी कर व्यवस्था सुनिश्चित कराने को कहा है.
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कार्डिनल का निधन 4 अक्टूबर को इलाज के दौरान मांडर के एक निजी अस्पताल में हो गया था. 10 अक्टूबर को उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सेंट मेरिज कैथेड्रल में रखा गया है. 11 अक्टूबर को भी सुबह 6 बजे से 12 बजे तक लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. इसके बाद दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा. इसकी सारी तैयारी कर ली गई है. 10 अक्टूबर को अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने में पुलिस को काफी परेशानी हुई.
कार्डिनल के अंतिम संस्कार के दौरान 90 साल पुरानी परंपरा दोहराई जाएगी. सेंट मेरिज कैथेड्रल में पार्थिव शरीर को दफनाया जाएगा. इसके लिए चर्च की पवित्र वेदी के बायीं ओर कब्र तैयार की गई है. इससे पहले 1933 में आर्च बिशप लुई वान होएक के यहां दफनाया गया था. उनके बाद 1960 में आर्च बिशप निकोलस कुजूर को यहीं जगह मिली थीं. उनके बाद 1993 में आर्च बिशप पायस केरकेट्टा का भी यहीं अंतिम संस्कार हुआ था. जानकारी के मुताबिक पोप के प्रतिनिधि भी अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए रोम से आएंगे. एक तरह राज्य सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की है. वहीं मिशनरीज से जुड़े ज्यादातर स्कूल कल बंद रहेंगे.
जिला प्रशासन का अनुमान है कि 11 अक्टूबर को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कार्डिनल के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए जुटेंगे. इसको देखते हुए पुरुलिया रोड में स्कूल बसों का परिचालन नहीं करने को कहा गया है.
आपको बता दें कि कार्डिनल टोप्पो की झारखंड में एक विशेष पहचान रही है. वह बेहद मिलनसार और मृदुभाषी थे. उनका जन्म गुमला के चैनपुर में 1939 में हुआ था. वह अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे. बचपन से ही उनका धर्म की ओर रूझान था. ईसाई समाज के लोगों का कहना है कि वह बेल्जियम के पुरोहित की जीवनशैली से प्रभावित थे. हर स्तर पर उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद स्विट्जरलैंड में बिशप फ्रांसिसकुस ने उनका पुरोहित अभिषेक कराया था.