रांची: कोविड-19 के डर ने लोगों के जीवन शैली को बदल दिया है. पहले लोग बाजारों में जैसे एक साथ जाकर मनोरंजन करते थे अब कोविड-19 के संक्रमण के डर से कहीं न कहीं लोग अपने मनोरंजन के साधनों को नजर अंदाज करने लगे हैं, क्योंकि कोविड-19 से बचने के लिए सरकार ने जो भी गाइडलाइन जारी किया है, उसमें लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचने की सलाह दी गई है.
लॉकडाउन के कारण लोगों की कार्यशैली में हुए बदलाव से व्यापार जगत के लोगों को खासा नुकसान सहना पड़ रहा है, खासकर वैसे व्यापारी जो सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, होटल, रेस्टोरेंट और ट्रांसपोर्ट के बिजनेस से जुड़े हैं. इसे लेकर झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष और राज्य के बड़े व्यापारी दीपक मारू बताते हैं कि जिस तरह कोविड-19 ने लोगों के जीवन में बदलाव लाया है, यह निश्चित ही व्यापारियों के व्यापार पर असर करेगा. इससे सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचेगा, खासकर सिनेमा हॉल, बार, होटल, मल्टीप्लेक्स से जुड़े व्यापारियों को कोविड-19 के कारण अधिक नुकसान सहना पड़ रहा है, क्योंकि इन जगहों पर लोगों की भीड़ से ही मुनाफे कमाए जाते थे, लेकिन अब इन जगहों पर लोग भीड़ जमा करने से बचेंगे.
व्यापारियों को बदलना होगा व्यापार का स्वरूप
दीपक मारू बताते हैं कि कोविड-19 के कारण आए संकट की वजह से अब व्यापारियों को भी अपने व्यापार का स्वरूप बदलना होगा, साथ ही साथ सरकार से उम्मीद जताते हुए कहा कि सरकार को भी व्यापार जगत के लोगों के साथ खड़ा होना पड़ेगा, तभी राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार अभी तक व्यापारियों के लिए कोई विचार नहीं कर रही है, लेकिन व्यापारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी व्यापारियों के साथ बैठकर निश्चित ही कुछ विचार करेंगे और जो व्यापारी मल्टीप्लेक्स रेस्टोरेंट और मनोरंजन के व्यापार से जुड़े लोग हैं उनके आर्थिक नुकसान के लिए कुछ उपाय निकालेंगे.
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ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को भी नुकसान
वहीं ट्रांसपोर्टरों का भी व्यापार कोविड-19 में ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में परिवहन के व्यवसाय से जुड़े लोगों के भी कई वाहन यूं ही पड़े हैं, जिससे उन्हें काफी नुकसान सहना पड़ रहा है. बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह बताते हैं कि सरकार को एहतियात के साथ बसों का परिचालन शुरू करना चाहिए ताकि वाहन मालिक नए नियमों का पालन कर अपने व्यापार को शुरू कर सके, क्योंकि बस के खड़े रहने से प्रतिदिन लाखों रुपए का नुकसान सहना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि जिस प्रकार से लोग निजी वाहनों में हजारों रुपए देकर अपने घरों को प्रस्थान कर रहे हैं, ऐसे में अगर सरकार बस मालिकों को बस चलाने की अनुमति देती है तो कम से कम रुपए में लोगों को घर तक पहुंचाएगा. इससे व्यापार को भी थोड़ी गति मिलेगी.