गोरखपुर: भाजपा के सांसद कमलेश पासवान को गोरखपुर की अपर सत्र न्यायाधीश नम्रता अग्रवाल ने एक साल कैद और 2 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है. कमलेश पासवान भारतीय जनता पार्टी से लगातार तीन बार गोरखपुर के बांसगांव लोकसभा सीट से जीतते चले आ रहे हैं. हालांकि जिस समय की यह घटना है उस समय कमलेश पासवान समाजवादी पार्टी में थे और मनीराम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुआ करते थे. उनके खिलाफ एक ट्रेन को रोककर चक्का जाम किए जाने का मामला था, जो पिछले 16 सालों से न्यायालय में विचाराधीन था. आखिरकार इसका फैसला जब 27 जनवरी को आया तो कमलेश पासवान जो मौजूदा समय में बीजेपी सांसद हैं, उन्हें एक साल की कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई गई.
क्या था मामला
वर्ष 2004 में 18 दिसंबर के दिन तत्कालीन सपा विधायक कमलेश पासवान नकहा रेलवे क्रॉसिंग के पास तत्कालीन स्थानीय पार्षद राजेश कुमार यादव के साथ विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था, जिसकी वजह से नौतनवा से चलकर गोरखपुर आने वाली गाड़ी संख्या 222 नकहा स्टेशन पर काफी देर तक खड़ी रह गई. इस मामले में ट्रेन के चालक और गार्ड ने घटना के दिन ही नकहा आरपीएफ पोस्ट पर मुकदमा दर्ज कराया था. 14 नवंबर 2011 को आरपीएफ ने इस मामले में अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था. इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत में कई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए थे.
भाजपा सांसद कमलेश पासवान को एक साल की सजा, यह थी वजह - गोरखपुर ताजा समाचार
गोरखपुर में अपर सत्र न्यायाधीश ने भाजपा के सांंसद कमलेश पासवान को एक साल कैद और 2 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. यह मामला 16 वर्षों से न्यायालय में विचाराधीन था. एक ट्रेन को रोककर चक्का जाम किए जाने का मामला था, जिसमें सजा सुनाई गई.
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तत्कालीन पार्षद राजेश यादव को भी सज़ा
विशेष लोक अभियोजक शैलेश कुमार त्रिपाठी ने अदालत में अभियोजन का पक्ष रखा था. इस दौरान बचाव पक्ष ने भी अपना पक्ष अदालत के सामने रखा लेकिन अदालत ने सभी दलीलों को सुनने के बाद इस मामले में कमलेश पासवान को 1 साल के कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ अर्थदंड की भी सजा सुनाई है. साथ ही इनके साथ चक्का जाम में शामिल रहे तत्कालीन पार्षद राजेश यादव को भी अर्थदंड के साथ 1 साल की कैद की सजा सुनाई गई. हालांकि अदालत ने फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए इन दोनों अभियुक्तों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया.