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'थोड़ी भी नैतिकता रहती ताे चुल्लू भर पानी में डूब जाते, त्याग पत्र दे देते' NGT के फैसले के बाद बाबूलाल का हेमंत पर हमला

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Published : Mar 20, 2023, 6:41 PM IST

Updated : Mar 20, 2023, 7:26 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एनजीटी के फैसले के बाद हेमंत सरकार पर खूब गरजे. बाबूलाल ने सीएम को नैतिकता तक का पाठ पढ़ा दिया. कहा कि राज्य में चारों ओर लूट मची हुई है. झारखंड सरकार खुद इस लूटतंत्र का हिस्सा है. इसलिए कार्रवाई नहीं होती.

Babulal on Hemant Soren
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का हेमंत पर हमला

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का हेमंत पर हमला

रांचीः बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सोमवार को एक अलग ही तेवर में दिखे. एनजीटी का फैसला आने के बाद बाबूलाल झारखंड के मुख्यमंत्री पर जमकर बरसे. मरांडी ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को थोड़ी सी भी नैतिकता रहती तो चुल्लू भर पानी में डूब जाते. विधायक दल के नेता ने एनजीटी जजमेंट के बहाने मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा है.

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सरकार लूट में शामिल, इसलिए नहीं होती कार्रवाईःविधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस जजमेंट को देखने के बाद यदि हेमंत सोरेन को थोड़ी सी भी नैतिकता रहती तो त्याग पत्र दे देते और चुल्लू भर पानी में डूब जाते. कहा कि राज्य में चारों तरफ लूट मची हुई है. चाहे वह बालू की लूट हो या शराब की हर जगह लूट ही लूट मची हुई है. जिसमें सरकार का हर कोई शामिल है. बावजूद सरकार को इससे फर्क नहीं पड़ता. कारण है कि सरकार खुद इस लूट में शामिल है.

सरकार बढ़ाए ओबीसी आरक्षण का दायराःझारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल ने राज्य में ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने की मांग की है. कई जिलों में ओबीसी आरक्षण शुन्य होने पर नाराजगी जताई है. कार्मिक विभाग ने जिला स्तरीय आरक्षण रोस्टर जारी किया है. जिसमें कई जिलों में ओबीसी आरक्षण शुन्य होने की खबर है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हमलोग लगातार मांग कर रहे हैं कि राज्य में ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाए. इसके लिए सरकार को आयोग गठित करके जनगणना की प्रक्रिया को पूरी करनी होगी. लेकिन राज्य सरकार यहां के ओबीसी को बिल्कुल नजरअंदाज कर रही है.

6 महीने का काम तीन वर्षों में नहीं कर सकीः पिछले दिनों जब राज्य में पंचायत चुनाव हुए तो बगैर ओबीसी आरक्षण के सरकार ने चुनाव कराकर हम लोगों की मांग को नजरअंदाज कर दिया. खास बात यह है कि चंद्र प्रकाश चौधरी जब सुप्रीम कोर्ट गए तो उस वक्त सरकार ने एफिडेविट देकर वादा किया था. जिसमें कहा था कि हम ट्रिपल टेस्ट करायेंगे. यानी आरक्षण की व्यवस्था करके ही चुनाव कराएंगे. मगर जब नगर निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हुई तो उस समय बिल्कुल ही इसे नजरअंदाज कर दिया गया. बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने की तैयारी कर दी गई. फिर जब चंद्र प्रकाश चौधरी सुप्रीम कोर्ट गए तब सरकार ने कहा कि हम ट्रिपल टेस्ट करा कर ही नगर निकाय चुनाव कराएंगे. ऐसे में सरकार को चाहिए कि राज्य की एक बड़ी आबादी जो उनकी संख्या के अनुपात में आरक्षण से दूर है इसके लिए पहल करने की आवश्यकता है. मगर तीन वर्षों में सरकार काम नहीं कर सकी. जबकि यह सिर्फ 6 महीने का काम था. यदि यह काम हो गया होता तो ओबीसी वर्ग को उनका हक मिल जाता.

Last Updated : Mar 20, 2023, 7:26 PM IST

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