रांचीःझारखंड प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संत शिरोमणि गुरू रविदास जी की जयंती शनिवार को मनाई गई. इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव और कांग्रेस कार्यकर्याओं ने श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया.
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इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि संत रविदास जी मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे और जन-जन में उन्होंने भक्ति का संचार किया. सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े बिना ही सहज भक्ति की ओर अग्रसर हुए. जिसमें पूरी मानवता के लिए खुले हृदय से आदर, प्रेम और सद्भावना का संदेश था. उन्होंने कहा कि संत रविदास की अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता इस उदाहरण से समझी जा सकती है कि एक बार रविदास अपने काम में इतने लीन थे कि उनसे किसी ने गंगा स्नान के लिए साथ चलने का आग्रह किया. संत जी ने कहा मुझे किसी को जूते बनाकर देने हैं. अगर आपके साथ चला गया, तो समय पर काम पूरा नहीं होगा और मेरा वचन झूठा पड़ जाएगा और फिर अगर मन सच्चा हो, तो कठौती में भी गंगा होती है. यहीं से यह कहावत ने जन्म ली कि मन चंगा तो कठौती में गंगा.
जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर दिए बल
वहीं प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने श्रद्धांजलि अर्पित करते कहा कि संत रविदास समाज में फैली जातिगत ऊंच-नीच के धुर विरोधी थे और कहा करते थे कि सभी एक ईश्वर की संतान है. जन्म से कोई भी जात लेकर पैदा नहीं होता. इतना ही नहीं वह एक ऐसे समाज की कल्पना भी करते थे. जहां किसी भी प्रकार का लोग लालच, दुख, दरिद्रता, भेदभाव नहीं हो. उन्होंने अपने दोहों और पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी. संत रविदास की सहजता सरलता निष्कपटता, उदारता और सेवा भाव अपने आप में अद्भुत थे.
हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि संत रविदास की जयंती पूरे राज्य में हर्षोल्लास पूर्वक मनाई जा रही है. कोरोना को देखते हुए संख्या भले ही कम है. लेकिन भावनाएं असीम हैं. उनके ओर से किए गए कार्यों से आज भी पीढ़ियां प्रेरणा लेती हैं. रविदास की भक्ति भावना, आत्म निवेदन की एकाग्रता, निष्कपट व्यवहार की प्रसिद्धी दूर-दूर तक फैली हुई है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने अपने संदेश में कहा कि देशभर में माघ पूर्णिमा के अवसर पर संत रविदास जी का जन्म दिवस बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. समाज में फैले भेदभाव, छुआछूत को वह एक सामाजिक बुराई मानते थे. जीवन भर उन्होंने लोगों को अमीर गरीब, हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख दी थी.