रांचीःझारखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान हर तरफ लोग परेशान थे. कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिरसा जीवन आयुष कार्यक्रम बनाया गया ताकि घर-घर कोरोना की दवा पहुंचाई जा सके. इस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) के हाथों लॉन्च कराया गया लेकिन इसपर ग्रहण लगता दिख रहा है.
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इस कार्यक्रम के पहले चरण में दो लाख बिरसा आयुष जीवन किट का वितरण जरूरतमंदों के बीच करना था. इस दो लाख किट में 80 हजार किट आयुर्वेदिक दवाओं, 80 हजार किट होमियोपैथिक दवाओं और 40 हजार किट यूनानी दवाओं के शामिल थे. लेकिन, उद्घाटन के चार माह बाद भी एक किट का वितरण नहीं किया जा सका है.
10 मई को कार्यक्रम किया गया था लॉन्च
सामान्यतः होता यह है कि कोई भी कार्यक्रम का लॉन्च करने से पहले सभी तैयारियां कर ली जाती हैं ताकि शुभारम्भ के बाद जरूरतमंदों तक कार्यक्रम का लाभ पहुंचने लगे. लेकिन बिरसा जीवन आयुष कार्यक्रम में ठीक उल्टा हुआ. किसी भी तरह की तैयारी के बिना ही मुख्यमंत्री के हाथों कार्यक्रम लॉन्च कर दिया गया. इसके बाद दवाओं की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई. जिससे स्थिति यह हुई कि 10 मई को जिस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ वह चार महीने बाद भी धरातल पर नहीं उतर सका है.
दवा खरीद करनेवाले कॉर्पोरेशन ने उठाए सवाल
झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कारपोरेशन की प्रभारी हेड ने दवाओं और बिरसा जीवन आयुष किट की खरीद को लेकर आयुष निदेशक से सवाल किए हैं. उनका कहना है कि बिरसा जीवन आयुष किट की दवा अब खरीदेंगे तो कहां बांटेंगे. राज्य में कोरोना संक्रमण तो नियंत्रित हो गया है.
बिना पूर्व तैयारी की कार्यक्रम कर दिया गया लॉन्च
स्वास्थ्य विभाग की लेटलतीफी और बिना पूर्व तैयारी के मुख्यमंत्री से कार्यक्रम लॉन्च करवा दिया गया. अब प्रोक्योरमेंट कॉर्पोरेशन के वाजिब सवाल खड़ा किया है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारियों से पूछा है कि कितनी संख्या में बिरसा जीवन आयुष किट की जरूरत है. इसके बाद किट भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
क्या कहते हैं आयुष निदेशक
आयुष निदेशक डॉ श्रीचंद प्रसाद ने बताया कि सरकारी प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय लग गया और अब जब प्रक्रियाएं पूरी करते हुए दवा आपूर्ति करने वाली एजेंसी चयनित कर दी गई है, तो अब दो लाख आयुष किट का क्या करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी जिलों से किट की जरूरत पूछा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कार्यक्रम को बंद करने पर विचार किया जा सकता है.
जरूरत के अनुरूप दवा की होगी खरीदारी
राष्ट्रीय आयुष मिशन के झारखंड हेड डॉ फजलुस समी ने कहा कि अभी जितनी जरूरत जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी बताएंगे, उतनी ही दवा की खरीद होगी.
किट में कौन कौन सी दवा को किया गया था शामिल
बिरसा जीवन आयुष किट(आयुर्वेदिक) में
गिलोय, अश्वगंधा, आयुष क्वाथ और आयुष 64
बिरसा जीवन आयुष किट(होमियोपैथी) में
एकोनाईट, आर्सेनिक50, बेलाडोना, ब्रायोनिया, यूपेकट्रीयम, फेरमफास, जेल्सीमियम, पल्सटिला और रसटाक्स
बिरसा जीवन आयुष किट(यूनानी) में
खमीरा मरवारीद, जोशांदा, Laoo-Q-sapistan और हब ए मुबारक