रांची:बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो, आरओबी रांची और एफओबी, दुमका के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें मधुमक्खी पालन की कला और इम्युनिटी बढ़ने में शहद के महत्त्व को बताया गया.
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झारखंड के शहद की पूरे देश में मांग
भारत सरकार के उपक्रम पीआईबी और आरओबी के अपर महानिदेशक डॉ अरीमर्दन सिंह ने कहा कि मधुमक्खी एक सामाजिक कीट है. इसका सामाजिक जीवन काफी विकसित और परिवार काफी व्यवस्थित होता है. इसके शहद और अन्य उत्पाद पराग, मोम, रॉयल जेली, वीवेनम और प्रोपेलीज का काफी अधिक औषधीय महत्त्व है. झारखण्ड की करंज आधारित शहद की पूरे देश में काफी मांग है. झारखंड में उत्पादित शहद में नमी की मात्रा कम होने की वजह से अच्छी कीमत मिलती है और मांग भी ज्यादा है. झारखंड की जलवायु और प्राकृतिक संसाधन मधुमक्खी पालन के लिए काफी उपयुक्त है. मधुमक्खी पालन में प्रबंधन का सर्वाधिक महत्त्व है. राज्य सरकार मधुपालकों की समस्याओं का समाधान कर इस उद्यम को नई दिशा दे सकती है. इस उद्यम से जोड़कर राज्य के ग्रामीण युवाओं के रोजगार अवसर मुहैया कराई जा सकती है.
मधुमक्खी पालन से किसानों को होता है फायदा
कीट वैज्ञानिक डॉ मिलन चक्रवर्ती ने कहा कि मधुमक्खी पालन से किसानों को दोहरा लाभ मिलता है. मधुमक्खी फसलों का मित्र कीट है. इसके परपरागण क्रिया का खाद्यान, फल और सब्जी आदि के उत्पादन में सर्वाधिक महत्त्व है. फसलों के समीप मधुमक्खी पालन से फसल उपज में 15-20 प्रतिशत उपज और तेल की मात्रा और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है. मधुमक्खी पालन के लिए अक्टूबर– नवंबर और फरवरी–मार्च का महीना सबसे उपयुक्त है. मधुपालकों से प्रशिक्षण लेकर न्यूनतम 5 बक्से से इसकी शुरुआत की जा सकती है. इसमें मधुमक्खी (मौन) की एपीस मेलीफेरा और एपीस सेरेना नामक पालतु प्रजाति का प्रयोग किया जा सकता है.
फलों के लिए मधुमक्खी पालन जरूरी
शहद तीन प्रकार के होते हैं, आर हनी, रेगुलर हनी और शुद्ध हनी. इनमें शुद्ध हनी सुगर युक्त नहीं होती और सबसे उत्तम मानी जाती है. कीट वैज्ञानिक डॉ विनय कुमार ने मधुमक्खी के बिना अनाज, फल, फूल आदि का उत्पादन को असंभव बताया. कहा कि यह किसानों के लिए काफी बहुउपयोगी कीट है. कश्मीर और शिमला के सेब उत्पादक किसान, सेब की खेती में मधुपालकों को उचित पारिश्रमिक देकर बागों में मधुमक्खी पालन कराते हैं. किसानों को मधुमक्खी से फसलोत्पादन में लाभ के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. इस आयोजन को बेहद सार्थक पहल और राज्य में शहद जांच प्रयोगशाला केंद्र स्थापित करने की जरूरत बताई.