रांचीः झारखंड विधानसभा बजट सत्र के 13वें दिन सोमवार विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सरकार पर कई सवाल उठाए. वहीं निर्दलीय विधायक ने भी मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है. झारखंड विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य की खराब होती विधि व्यवस्था पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है.
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बाबूलाल मरांडी ने कहा कि दिन प्रतिदिन राज्य की कानून व्यवस्था खराब होती जा रही है. दारोगा की मनचाहे थाने में पोस्टिंग मुख्यमंत्री आवास से होने लगी है. इस स्थिति में थाने में जनता की आवाज को नहीं सुनी जा रही है. उन्होंने कहा कि थानेदार के साथ साथ एसपी और एसएसपी की पोस्टिंग मोटी रकम लेकर की जा रही है. इससे पुलिस प्रशासन अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में जब पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति मुख्यमंत्री आवास से तय होने लगे तो विधि व्यवस्था कैसे दुरुस्त हो सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री अपने नाम से अब पत्थर का लीज लेने लगे हैं. उन पर क्रिमिनल केस होना चाहिए.
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)डी के तहत आपराधिक कृत्य करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पद पर रहते हुए इस तरह का आचरण किया है, जो भ्रष्टाचार के दायरे में आता है. मुख्यमंत्री ही खनन विभाग के मंत्री भी हैं और पद का दुरुपयोग करते हुए लीज लिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आईपीसी की धारा 169 का भी उल्लंघन किया है.
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि पत्थर खदान का लीज लेना कोई क्रिमिनल ऑफेंस नहीं है. लीज की प्रक्रिया साल 2008 से चल रही थी और मुख्यमंत्री के नाम से ही आवेदन था. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सावधानी रखनी चाहिए. यह नदानी में हुआ काम है. उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है कि मुख्यमंत्री को लीज लौटा देना चाहिए.
जब मंत्री नन ग्रेजुएट होगा तो क्या होगा- सीपी सिंह:पूर्व स्पीकर और वर्तमान में रांची से भाजपा विधायक सीपी सिंह ने हेमंत मंत्रिमंडल की आलोचना करते हुए कहा है कि वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को छोड़कर सभी मंत्री नन ग्रेजुएट हैं, तो इसी से अंदाजा लगा लीजिए. उन्होंने मंत्रिमंडल पर तंज कसते हुए कहा कि एक क्लर्क बनने के लिए योग्यता ग्रेजुएट होनी चाहिए मगर मंत्री और मुख्यमंत्री बनने के लिए ग्रेजुएट कोई योग्यता नहीं, यही लोकतंत्र की खासियत है. भाषा विवाद पर सरकार की आलोचना करते हुए सीपी सिंह ने कहा कि यह सरकार प्रायोजित विवाद है. हम झारखंडी हैं, मुझे जो भाषा आयेगी वो सभी बोलेंगे. मैं मैथिली भी बोलुंगा, भोजपुरी, मगही, अंग्रेजी, हिन्दी तमाम भाषा को बोलुंगा. इसमें दूसरे को क्या जाता है. सरकार को करना धरना कुछ नहीं है और बेबजह विवाद बढ़ाया जाता है.