रांची:यूपी सरकार के साथ-साथ कई अन्य राज्यों में भी कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति को देखते हुए शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है, लेकिन झारखंड में इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. शिक्षा विभाग अब तक इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है, जिसके कारण अभिभावकों में रोष है.
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साल 2020 के मार्च से देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ झारखंड के निजी और सरकारी स्कूल, कॉलेज सभी बंद है. ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही है. यूपी सरकार ने अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न पड़े, इसे लेकर शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस वृद्धि पर रोक लगा दी है. वहीं कई राज्यों में भी अभिभावकों को राहत देने के लिए पहल की जा रही है, लेकिन झारखंड सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.
2020 में झारखंड में हुआ था आदेश जारी
झारखंड में राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि इस सत्र में अभिभावकों से निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेंगे, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी अभी भी जारी है. री एडमिशन के आलावा अन्य कई मदों में अभिभावकों से फीस लिए जा रहे हैं. यह उन बड़े स्कूलों में अधिक हो रहा है, जहां अभिभावक बच्चों के नामांकन कराने में एड़ी चोटी लगा देते हैं. अभिभावकों की मानें तो ऐसे विद्यालयों में नामांकन होता ही नहीं है और अगर एक बार हो भी गया तो विद्यार्थियों का नामांकन कट न जाए इसका डर सताते रहता है.
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मुख्यमंत्री के पास है शिक्षा विभाग
कोरोना महामारी के मद्देनजर निजी स्कूलों से अभिभावकों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. राज्य सरकार भी इस दिशा में कोई उचित कदम नहीं उठा रही है, जबकि यह विभाग फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ही है. शिक्षण संस्थानों के मनमानी को लेकर एक बार फिर अभिभावक एसोसिएशन के अलावा शिक्षाविदों ने भी सवाल खड़े किए हैं. अभिभावक एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि ऐसी ही स्थिति रही तो राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी, क्योंकि आर्थिक परेशानी के कारण बच्चों का नामांकन अभिभावक खुद से कटवा देंगे और इससे शिक्षा व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ने वाला है.