रांचीः प्रदेश कांग्रेस के अंदर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की कार्यशैली से नाराज पार्टी नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ शिकायत करने पहुंचे नेताओं में अधिकांशत वैसे नेता हैं जिनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई की अनुशंसा की गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के झारखंड दौरे से ठीक पहले दिल्ली दरबार में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत पहुंचाने की कोशिश को अहम माना जा रहा है.
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गौरतलब है कि मल्लिकार्जुन खड़गे का झारखंड दौरा फरवरी के प्रथम सप्ताह में होने की संभावना है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली में जो नेता डेरा डाले हुए हैं उनमें आलोक दूबे, किशोरनाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता छोटू, साधुशरण गोप आदि शामिल हैं. कांग्रेस के अंदर चल रहे खेमेबाजी पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता के के गिरी कहते हैं कि 2024 सामने है और पार्टी अंदरूनी विवाद में फंसी है. प्रदेश अध्यक्ष को सबकी बात सुननी चाहिए, ना कि अपने मनमाने ढंग से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खुद मैंने कई बार प्रदेश अध्यक्ष को फोन किया मगर बात नहीं हो सकी. पार्टी को मजबूत बनाने के लिए सबको लेकर चलना होगा.
राजेश ठाकुर पर आरपीएन सिंह का आदमी होने का लगता रहा है आरोपःप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर झारखंड कांग्रेस के प्रभारी रहे और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके आरपीएन सिंह का आदमी होने का आरोप लगातार लगता रहा है. बागी नेताओं का मानना है कि आरपीएन सिंह भाजपा में चले गए लेकिन इसके बावजूद राजेश ठाकुर उनसे लगातार संपर्क में हैं.
इन सबके बीच राजेश ठाकुर के कार्यकाल में लंबे समय से कमेटी बनने की प्रतीक्षा खत्म हुई और करीब 5 साल बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ लेकिन कमेटी बनते ही पार्टी के अंदर गुटबाजी शुरू हो गई. प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा का मानना है कि पार्टी में ऑल इज वेल है और कोई भी व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से मिलता है तो हम नहीं बता सकते हैं कि पार्टी के अंदर ऑल इज वेल नहीं है. पार्टी के अंदर लोकतंत्र है. उन्होंने बागियों पर तंज कसते हुए कहा कि यह जरूर है कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ में वशीभूत होकर कांग्रेस की नीति और सिद्धांतों को दरकिनार करके अपनी स्वार्थ पूर्ति में लगे रहते हैं. ऐसे लोगों पर भी पार्टी की नजर रहती है.
बड़ा संगठन होने के नाते आंतरिक लोकतंत्र कांग्रेस के अंदर जिंदा है. ऐसे में लोग यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने के लिए जाते हैं तो कोई बहुत बड़ा ऐतराज का विषय नहीं है. बहरहाल कांग्रेस के अंदर गुटबाजी हमेशा से रही है. पिछले 10 वर्ष का इतिहास देखें तो झारखंड कांग्रेस में बड़े नेताओं की गुटबाजी चरम पर रही है, जिस वजह से पार्टी को जितनी सफलता मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पाती है.