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Anganwadi Centers Of Jharkhand:उधार पर चल रहे झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्र, सेविका-सहायिका को हो रही केंद्र चलाने में परेशानी!

झारखंड के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन उधार पर हो रहा है. इस कारण आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आंगनबाड़ी कर्मियों का कहना है कि मुश्किल से आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन हो रहा है. वहीं सरकार और विभाद के पदाधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं. क्यों आंगनबाड़ी केंद्रों को चलाने में हो रही है परेशानी जानने के पढ़ें पूरी खबर.

Anganwadi Centers Of Jharkhand Running On Loan
Anganwadi Workers

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Published : Jan 29, 2023, 2:35 PM IST

Updated : Jan 29, 2023, 3:26 PM IST

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रांची:राज्य में करीब 75 हजार आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका कार्यरत हैं. नई नियमावली के तहत इनके मानदेय में हर महीने बढ़ोतरी की स्वीकृति मुख्यमंत्री के द्वारा कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद भी आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की परेशानी कम नहीं हो रही है. इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य के समाज एवं कल्याण विभाग से इन्हें मिलने वाली सुविधाओं को सही तरीके से संचालन नहीं किया जा रहा है. इस संबंध में आंगनबाड़ी प्रदेश संघ के अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा बताते हैं कि आज भी आंगनबाड़ी सेविकाओं को आंगनबाड़ी केंद्र खोलने के लिए सोचना पड़ता है. क्योंकि उन्होंने किराए पर जो केंद्र लिया है, उसका रेंट लंबे समय से बाकी है.

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इंटरनेट की समस्या बनी मुसीबत, पोषण ट्रैकर पर जानकारी अपडेट करना मुश्किलः वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली सेविकाओं और सहायिकाओं ने बताया कि राज्य सरकार ने अतिरिक्त मानदेय की मांग को तो पूरी कर दी, लेकिन केंद्र सरकार ने जिस तरह से आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका और सहायिकाओं को अपने काम की ऑनलाइन जानकारी देने की बात कही है, वह संभव नहीं हो पा रहा है. क्योंकि झारखंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क काम करे. जिस वजह से केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं हो पाता है. इस संबंध में सेविकाओं और सहायिकाओं ने बताया कि केंद्र सरकार को इस पर विचार करने की आवश्यकता है. झारखंड में ऑनलाइन पोषण ट्रैकर को अपडेट नहीं किया जा सकता. झारखंड के सुदूर क्षेत्रों में संभव नहीं हो पाता है. क्योंकि यहां पर इंटरनेट की समस्या आए दिन बनी रहती है.

कई माह से लंबित है आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों का किरायाः बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली सेविकाओं को राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से वेतन में बढ़ोतरी तो कर दी गई है, लेकिन उनके काम करने की प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया गया है. जिस वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं ने बताया कि शहरी क्षेत्र में केंद्र खोलने के लिए सरकार ने तीन हजार प्रतिमाह रेंट मुहैया कराने की बात कही थी, लेकिन सरकारी स्तर पर मात्र 700 रुपए ही मिल रहे हैं. ऐसे में मकान मालिक को किराया देना मुश्किल हो रहा है. सेविका और सहायिकाओं को अपने मानदेय के पैसे से मकान किराए का भुगतान करना पड़ता है. वहीं पोषण ट्रैकर के लिए इंटरनेट की भी सुविधा वह अपने निजी पैसे से ही खर्च कर रही हैं.

रेंट एग्रीमेंट के हिसाब से नहीं मिलता है किरायाःइस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने जब इसको लेकर जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी सेंटर खोलने के लिए सरकार की तरफ से तीन हजार रुपए दिए जाते हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 700 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं और जो शहर छोटे हैं वहां पर 1500 रुपए प्रतिमाह सरकारी स्तर पर राशि मुहैया कराई जाती है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली सेविकाओं और सहायिकाओं का आरोप है कि सरकारी उदासीनता और लापरवाही के कारण रेंट एग्रीमेंट के हिसाब से उन्हें पैसा मुहैया नहीं कराया जाता है. इस कारण आंगनबाड़ी केंद्रों के लाखों रुपए किराया राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बाकी है.

केंद्र सरकार की ओर से नहीं मिला मकान किरायाः वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली सेविकाओं और सहायिकाओं की समस्या को लेकर हमने जब समाज कल्याण विभाग के जिला पदाधिकारी स्वेता भारती से बात की तो उन्होंने कहा कि मकान किराया का बकाया पैसा अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार को नहीं मिल पाया है. इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए खोले गए सेंटर्स के मकान किराए के पैसे का भुगतान नहीं हो पाया है. वहीं पोषण आहार और गोद भराई के बकाए पैसे को लेकर संबंधित पदाधिकारियों से बातचीत चल रही है, जल्द ही आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को बकाया पैसा भुगतान कर दिया जाएगा.

आंगनबाड़ी कर्मी कार्यालयों का चक्कर काटने को मजबूरः गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान किया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण, शिक्षा के साथ-साथ गर्भधारण के दौरान महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और छोटे बच्चों को टीकाकरण सहित उनकी शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं, लेकिन जिस तरह से झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों से लोगों को कितना लाभ मिल पा रहा होगा. मालूम हो कि राज्य में करीब 36 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं. लगभग सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर मकान किराया, गोद भराई की राशि और पोषण ट्रैकर के लिए मोबाइल खर्च सरकारी स्तर पर मुहैया नहीं कराया जा रहा है. जिसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका सरकारी कार्यालय में चक्कर काटने को मजबूर हैं.

Last Updated : Jan 29, 2023, 3:26 PM IST

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