रांची: रामगढ़ उपचुनाव को लेकर 2 मार्च को हुई काउंटिंग में आजसू ने बाजी मार ली है. इस सीट को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत लगा दी थी. सीएम हेमंत सोरेन ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन रामगढ़ की जनता ने हेमंत के ऊपर भरोसा नहीं किया और आजसू को जीत दिला दी. 2023 के रण को आजसू ने जीत लिया है
Ramgarh Byelection: रामगढ़ के रण में आजसू ने मारी बाजी, फिर किया अपनी पुरानी सीट पर कब्जा
रामगढ़ उपचुनाव का परिणाम आ गया है. एनडीए की एकजुटता का परिणाम रहा कि यह सीट फिर से आजसू के खाते में आ गई. जाने क्या रहा है इस सीट का इतिहास
बाबूलाल ने जीता पहला उपचुनाव: यहां महागठबंधन और एनडीए के बीच में मुकाबला था. इस मुकाबले को जानने के लिए आंकड़ों को समझना जरूरी है. 2019 के चुनाव के आंकड़ों की बात करेंगे उससे पहले बताते हैं इस सीट पर किसका दबदबा रहा है. 2000 झारखंड अलग होने के बाद यहां पर पहला चुनाव 2001 में हुआ था वह भी एक उपचुनाव ही था. इस उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी.
आजसू का दबदबा: 2001 के बाद 2005, 2009 और 2014 में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत दर्ज की. आजसू बीजेपी का परंपरागत सहयोगी रहा है. 2019 में यहां से कांग्रेस की ममता देवी ने चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को हराकर सीट पर कब्जा किया. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि 2019 से पहले झारखंड की इस सीट पर एनडीए का ही कब्जा रहा है. ममता देवी के जेल जाने के बाद एक फिर से रामगढ़ पर आजसू ने कब्जा जमा लिया है.
ममता ने कैसे पलटी अब बात करते हैं कि 2019 में ममता देवी ने इस सीट पर कैसे उलटफेर किया. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू एक साथ थी. लेकिन 2019 चुनाव से ठीक पहले सीटों के बंटवारे के विवाद को लेकर दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस चुनाव में ममता देवी को 28,718 वोटों से जीत हासिल हुई थी. ममता देवी को कुल 99,944 वोट मिले, आजसू की प्रत्याशी सुनीता चौधरी दूसरे नंबर पर रहीं उन्हें कुल 71,226 वोट मिले वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी रणंजय सिंह रहे उन्हें कुल 31,874 वोट मिले थे.