रांचीः राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से एक योजना के तहत सभी शिक्षकों और नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों के लिए एक सर्वे करने की योजना है. विद्यार्थियों और शिक्षकों से ही पूछा जाएगा कि कौन से पाठ्यक्रम की पुस्तकें उनके लिए सही होगी. एक मत प्राप्त हो जाने के बाद उसी आधार पर पुस्तकों को ऑनलाइन लाइब्रेरी में अपडेट कर अपलोड किया जाएगा और स्कूलों के लाइब्रेरी में भी रखा जाएगी.
भले ही वैश्विक महामारी कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है. इसके बावजूद कई नई चीजों को लेकर भी निजी संस्थानों के साथ-साथ सरकारी संस्था ने भी बेहतर करने की कोशिश कर रही है.
स्कूली शिक्षा हो या फिर हाई स्कूल की पठन-पाठन कई चीजों में बदलाव देखने को मिल रहा है. इस महामारी के बाद ऑनलाइन तरीका भी लोग अपना रहे हैं. इसमें परेशानियां आ रही है, लेकिन उन परेशानियों को दूर कर बेहतर तरीके से पठन-पाठन हो इसकी कोशिश भी हो रही है.
एक तरफ जहां तमाम निजी स्कूल इन दिनों ऑनलाइन क्लासेस ले रही है. तो वहीं सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेस और ऑनलाइन तरीके से विद्यार्थियों तक पठन-पाठन के सामग्री पहुंचाने की कोशिश हुई है.
हालांकि सरकारी स्कूलों के लिए यह डगर इतना आसान नहीं है, क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण 80 फीसदी बच्चों तक ऑनलाइन पठन-पाठन या फिर शिक्षण संबंधित सामग्रियां पहुंचाना संभव नहीं हो रहा है.
विद्यार्थियों और शिक्षकों से ली जा रही है राय.राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से शिक्षकों, विद्यार्थियों को कनेक्ट रखने के लिए लगातार कई प्रयोग किए जा रहे हैं और पठन-पाठन बेहतर हो इसकी कोशिश भी हो रही है.
इसी कड़ी में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग सभी शिक्षक और नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों के लिए एक सर्वे योजना तैयार किया है. इस योजना के तहत तमाम शिक्षकों और 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों से कौन सी पुस्तकें पढ़ी जाए.
इस संबंध में राय ली जाएगी. छात्र खुद ही पुस्तकों का चयन करेंगे. हालांकि 85 फीसदी बच्चों का मत मिलने पर ही उन पुस्तकों को पढ़ने के लिए उपयुक्त माना जाएगा और उन पुस्तकों को ई लाइब्रेरी के अलावा स्कूलों में स्थित लाइब्रेरी में भी मुहैया कराया जाएगा.
राज्य के सरकारी स्कूलों के लाइब्रेरी में पुस्तकों का अभाव. फिलहाल राज्य के सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी में पुस्तकों का अभाव है और इस कमी को दूर करने के लिए भी शिक्षकों और विद्यार्थियों से राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से राय मांगी जा रही है. विभाग की ओर से सभी पाठ्यक्रम विभाग के पोर्टल पर भी अपलोड किया जा रहा है.
कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के सभी पाठ्यक्रम अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिसके बाद विभाग इन कक्षाओं में पढ़ रहे विद्यार्थियों से राय लेगा. पोर्टल पर अपलोड पुस्तकों के बारे में भी उन्हें फीडबैक देना है. इसमें शिक्षकों की भूमिका अहम रहेगी .शिक्षकों को विद्यार्थियों को गाइड करने का निर्देश दिया गया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्य शिक्षा परियोजना परिषद का यह प्रयोग कितना सफल हो पाता है.
स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग के कई योजनाओं का सीएम करेंगे शुभारंभ. इधर दीपावली और छठ महापर्व के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड डीजी स्कूल एप समेत अन्य योजनाओं का शुभारंभ करेंगे.
गौरतलब है कि फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही शिक्षा विभाग को अपने पास रखा है. शिक्षा मंत्री का इलाज चेन्नई में चल रहा है और शिक्षा विभाग के तमाम गतिविधियों पर निगरानी फिलहाल सीएम ही रख रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की कई योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए विभाग की ओर से सीएम से चर्चा की गई है. जिसमें स्कूल सर्टिफिकेशन ,स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार ,लर्निंग एप, झारखंड डीजी साथ, स्कूल एप समेत अन्य योजनाओं का मुख्यमंत्री एक साथ शुभारंभ कर सकते हैं.
इसे लेकर मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव भी भेजा गया है. वहीं मैट्रिक और इंटरमीडिएट के मॉडल प्रश्न पत्रों को भी मुख्यमंत्री के द्वारा ही जारी किया जा सकता है.