रांची:छठी जेपीएससी के तहत 326 प्रशासनिक पदों को भरने का मामला सोमवार को नए मोड़ पर आ गया है. झारखंड हाई कोर्ट ने पीटी परीक्षा के लिए विज्ञापन की शर्तों में किये गए बदलाव को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले से 28,531 अभ्यर्थियों का भविष्य जहां अधर में लटक गया है. वहीं, छात्र नेता मनोज कुमार यादव ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.
ये भी पढ़ें: गांव की पगडंडियों से निकलकर सिल्वर स्क्रीन तक पहुंची शीतल, ब्रांड एंबेसडर बन अब मतदाताओं को करेंगी जागरूक
कब क्या हुआ
- छठी जेपीएससी पीटी परीक्षा वर्ष 2016 में ली गई थी और अप्रैल 2017 में पीटी का रिजल्ट निकाला गया था. इस रिजल्ट के मुताबिक कुल 4823 उम्मीदवारों को उत्तीर्ण किया गया था. लेकिन जेपीएससी की ओर से नियम के मुताबिक, आरक्षित सीटों के 15 गुना संख्या के हिसाब से रिजल्ट जारी किया गया था. रिजल्ट जारी होने से आरक्षण की श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक लाने के बाद भी उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल नहीं किया गया. इसके कारण आरक्षित श्रेणी के बच्चे ज्यादा अंक लाकर भी फेल और अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार कम अंक लाकर भी पास हो गए थे. जेपीएससी के जारी इस रिजल्ट के कारण विवाद हो गया.
- काफी दिनों तक चले आंदोलन के बाद जेपीएससी ने अपनी इस गलती को सुधारते हुए नवंबर में मेंस के लिए सफल अभ्यर्थियों की नई सूची जारी की. इस सूची के तहत कुल 6103 परीक्षार्थी सफल हुए थे. जेपीएससी के इस कदम के बाद परीक्षार्थियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया. इसके बावजूद भी विवाद नहीं थमा. इस पर जोर-शोर से राजनीति शुरू हो गई. दूसरे गुट ने आंदोलन शुरू करते हुए यह कहा कि रिजर्वेशन कैटेगरी का फायदा देते हुए उन्हें भी कट ऑफ मार्क्स का लाभ देते हुए उत्तीर्ण घोषित किया जाना चाहिए.
- विवाद को बढ़ता देख रघुवर सरकार ने 2018 में नेतरहाट में हुई कैबिनेट की बैठक में नए सिरे से विज्ञापन निकालकर संशोधित रिजल्ट जारी करने के प्रस्ताव को सहमति दे दी. इस फैसले के बाद एसटी एससी के लिए 23 फीसदी, ओबीसी के लिए 35 फीसदी और जनरल के लिए 40 फीसदी कट ऑफ मार्क्स तय किए गए. इस आधार पर मेंस के लिए 34,634 अभ्यर्थी को सफल घोषित कर दिया गया.
- सरकार के इस फैसले को नियम के खिलाफ बताते हुए कुछ छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. छात्रों ने कोर्ट से मांग की कि दूसरी बार पीटी का जो संशोधित रिजल्ट जारी हुआ था वह नियम संगत था और उसी के आधार पर चयनित परीक्षार्थियों को मेंस की परीक्षा में शामिल होने देना चाहिए.