रांची: लॉकडाउन 4 के बीच मानवता के अलग-अलग चेहरे सामने आ रहे हैं. कहीं कोई राहगीरों को जेब से पैसे लगाकर खाना और पानी दे रहा है तो कोई मुफ्त में गाड़ियों से उनको घरों तक भेजने की कोशिश कर रहा है. विपदा के इस दौर में झारखंड के लोग मिसाल कायम कर रहे हैं. रांची और रामगढ़ जिला की सीमा पर से सिकिदिरी घाटी में एक बस के पलटने से ऐसी बात सामने आई है. जिसे सुनकर आप छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस को कोसते नहीं थकेंगे.
ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस ने प्रवासी श्रमिकों की जोखिम में डाली जान, रांची में हुई बस दुर्घटना से खुली पोल
पश्चिम बंगाल के कुछ मजदूर मुंबई से बस बुक कर घर वापस लौट रहे थे. बस के छत्तीसगढ़ पहुंचते ही वहां की पुलिस ने उसी बस में पश्चिम बंगाल के कुछ अन्य मजदूरों को जबरन बैठा दिया. इसके बाद बस जब ओडिशा सीमा पर पहुंची तो वहां की पुलिस ने भी बंगाल के ही कुछ मजदूरों को जबरन घुसाने की कोशिश की. बस में जगह नहीं मिली, तो दो दर्जन से ज्यादा मजदूरों को बस की छत पर बैठा दिया गया. ये बस रामगढ़-रांची की सीमा पर दर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें लगभग 40 मजदूर घायल हो गए.
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एक दूसरे के दर्द से वाकिफ लाचार प्रवासी श्रमिक किसी तरह एडजस्ट करते हुए अपनी मंजिल की तरफ चले जा रहे थे. इसी बीच रांची और रामगढ़ जिला की सीमा पर सिकिदिरी घाटी में अनियंत्रित होकर बस पलट गई. इस हादसे में 20 मजदूरों को गंभीर चोटें आई, जिन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. लगभग 25 मजदूरों को मामूली चोट आई, जिनका इलाज रामगढ़ जिला के गोला में किया गया.
ईटीवी भारत की टीम मजदूरों का हाल जानने के लिए रिम्स पहुंची तो वहां एक मजदूर ने पूरा वाक्या बताया. आश्चर्य की बात है कि एक तरफ केंद्र सरकार और तमाम राज्य सरकारें प्रवासी श्रमिकों के प्रति सहानुभूति की बात कह रही है. वहीं दूसरी तरफ मजदूरों को उनके घर भेजने की मुकम्मल व्यवस्था कराने के बजाए ऐसे घिनौने हरकत करने लगी है.