रांची: भारत सरकार ने गरीबो के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की. इसके तहत गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है. हालांकि कई बीमारियां ऐसी हैं जिसके इलाज का प्रावधान आयुष्मान भारत योजना में नहीं है. ऐसे में इन बीमारियों से जूझ रहे लोगों के परिजन इलाज में होने वाले खर्च की चिंता में रहते हैं. ऐसे लोगों को राहत देने के लिए सीएम हेमंत सोरेन की योजना अब जमीन पर दिखने लगी है.
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत 21 तरह की बीमारियों में मिलने लगी मदद, इलाज के लिए 10 लाख तक की सहायता
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में मिलने वाली सहायता राशि को हेमंत सोरेन सरकार ने 5 लाख से 10 लाख कर दिया था. इसके अलावा इसमें शामिल बीमारियों की सूची में भी इजाफा किया. इसका लाभ अब लोगों को मिलने लगा है.
पिछले वर्ष मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सरकार ने मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने का फैसला किया था. इसके अलावा इस योजना के तहत शामिल बीमारियों की संख्या को बढ़ाने का भी कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया था. अब इस योजना का संकल्प जारी होने के बाद जरूरतमंदों को इसका लाभ मिलने लगा है, जिसके तहत सूची में शामिल 21 किस्म की गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत सहायता मिल रही है.
कौन कौन हैं इसके लिए पात्र और कैसे करें आवेदन:रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना को बेहद उपयोगी बताते हुए कहते हैं कि योजना के तहत सूची में शामिल 21 किस्म की बीमारियों के रोगी को मरीज को सबसे पहले सरकारी अस्पताल में दिखाना होगा. उसके बाद उसकी चिकित्सीय जांच होगी, उसके बाद मरीज के परिजन आधार कार्ड, निवास का पता और 08 लाख या उससे कम की प्रतिवर्ष आय का सर्टिफिकेट के साथ सिविल सर्जन कार्यालय में योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन देना होता है. अगर मरीज योजना के लिए निर्धारित अस्पताल में पहले से भर्ती या इलाजरत है तो वहां होने वाले खर्च का कोटेशन के साथ आवेदन करना होता है. इसके बाद मेडिकल बोर्ड यह निर्धारित करता है कि इलाज में कितनी राशि खर्च होगी.
डॉक्टर विनोद कुमार बताते हैं कि अगर पांच लाख तक की राशि खर्च होनी है तो सिविल सर्जन स्तर से ही सहायता प्रदान कर दी जाती है. इसमें अधिकतम 07 दिन का समय लगता है. अगर 10 लाख तक का खर्च होने है तो 05 लाख 07 दिन के अंदर सहायता उस अस्पताल को भेज दी जाती है. जहां मरीज का इलाज चल रहा है. बाकी के 05 लाख स्वास्थ्य विभाग से जारी होता है. अगर किसी केस में 10 लाख से अधिक का खर्च इलाज के लिए होना है तो उसमें भी कैबिनेट के निर्णय के बाद सहायता देने का प्रावधान रखा गया है, इसमें एक बात यह खास है कि आवेदक उसी जिले के सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन करें जहां के वह निवासी हों.
पहले मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट, गंभीर लीवर रोग और एसिड अटैक के पीड़ित को ही मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत इलाज के लिए सहायता मिलने का प्रावधान था, जिसमें अब 17 और बीमारियों को जोड़ दिया गया है. जिसमें ब्रेन हेमरेज, थैलेसीमिया, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, रेटिनल डिटैचमेंट, डकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारियां शामिल हैं.
17 गंभीर बीमारियों की सूची जिसे मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना में जोड़ा गया है. राज्य और राज्य के बाहर के कुल 45 ऐसे अस्पताल हैं जो मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत सूची में शामिल हैं. जिन बीमारियों का नाम लिस्ट में है वे इस तरह से हैं.
- विस्कॉट एल्ड्रिच सिंड्रोम
- थैलेसीमिया, ब्लड डिसक्रेसिया
- अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण
- आघात पश्चात विकृति और जलने के मामले में प्लास्टिक सर्जरी
- रेटिनल डिटैचमेंट
- क्रैनियोटॉमी + क्रिटिकल केयर के साथ सिर की गंभीर चोट
- कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग/इंट्रा एओर्टिक बैलोन पंप (सीएबीजी+आईएबीपी)
- आईसीयू रोगी में तीव्र विफलता में निरंतर गुर्दे की प्रतिस्थापन चिकित्सा
- प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी
- ट्रेकेआ ओसोफेजियल फिस्टुला का ऑपरेशन
- मर्मज्ञ केराटोप्लास्टी
- मेनिंगगोएन्सेफालकोल सर्जरी
- ब्रेन हैमरेज
- चेहरे की दरार, माइक्रोस्टिया हेमोफेशियल और अन्य सहित जन्मजात विकृति
- कोचलियर इम्प्लांट
- ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- जुवेनाइल नेसाफरीन्जियल एंजियोफिब्रोमा