रामगढ़:जिले में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. पुलिस ने एक शव को एंबुलेंस के बजाय स्ट्रेचर पर बांधकर लाया. रामगढ़ जिले के मांडू थाना क्षेत्र में दुर्घटना में एक बाइक सवार युवक की मौत हो गई थी. गाड़ी और एंबुलेंस के अभाव में अस्पताल से स्ट्रेचर पर शव को बांधकर थाने लाया गया. बताया जा रहा है कि लगभग एक किमी तक शव को स्ट्रेचर पर रखकर घसीटा गया. इस पूरे मामले में कांग्रेस के नेता ने कहा कि यह पुलिस का अमानवीय चेहरा है, यदि इसमें पुलिस के पदाधिकारी दोषी हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
पुलिसकर्मियों की अमानवीयता पर कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही एसपी प्रभात कुमार ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच रामगढ़ एसडीपीओ अनुज गौरव कर रहे हैं और जांच के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी, अगर इस तरह की घटना हुई है तो कार्रवाई तय है. इस पूरे मामले में रामगढ़ जिले के सिविल सर्जन कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचती रही. उन्होंने कभी मीटिंग का बहाना बनाकर, तो कभी जानकारी का अभाव होने की बात कहकर 1 घंटे तक कार्यालय से लेकर परिसदन तक ईटीवी भारत के संवाददाता को दौड़ाया. उन्होंने बस इतना कहा कि जो भी होगा जो सामने आएगा उस पर काम किया जाएगा.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ अशोक को मामले की जानकारी नहीं
पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने रामगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ अशोक से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन वो अस्पताल में नहीं मिले. हालांकि उन्होंने फोन पर कहा की मांडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन है, पुलिस के ओर से कोई सूचना नहीं दी गई थी, एक पत्रकार से सूचित किया गया था, लेकिन उसके बाद कोई जानकारी नहीं है. एनएचआई के एंबुलेंस के डॉ प्रकाश ने कहा कि दुर्घटना की खबर मिलती है तो हमलोग जरूर घटनास्थल पर पहुंचते हैं, घायल या मृत दोनों को अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन इस दुर्घटना की कोई जानकारी हमलोगों को पुलिस के ओर से नहीं दी गई थी.
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अस्पताल प्रबंधन की अनियमितता
वहीं मांडू के अंचल अधिकारी राकेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि इस पूरे मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं है, अगर इस तरह का कोई मामला है तो थाना प्रभारी से मिलकर उसका निदान किया जाएगा. घटना को लेकर बीडीओ विनय कुमार ने कहा कि रात में घटना की जानकारी के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को मोबाइल पर रिंग किया गया था, लेकिन प्रभारी का मोबाइल स्विच ऑफ था, रात में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं थे, पुलिस के सूचना देने के बाद भी शव वाहन नहीं भेजा गया था, जिसके बाद पुलिस ने वाहन के अभाव में स्ट्रेचर पर डेड बॉडी को थाने ले गई, इस पूरे प्रकरण में अस्पताल प्रबंधन के ओर से अनियमितता बरती गई है, पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी को लिखा जाएगा.